रोहित वर्मा खरोरा :- हिंदू धर्म में सबसे शुभ और पुण्यदायी और सभी व्रतों में श्रेष्ठ देवउठनी एकादशी कार्तिक मास शुक्ल पक्ष यानी कि मनाई गई। -मंगलवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष में देवउठनी एकादशी का पर्व आस्था के साथ मनाया गया। लोगों ने घरों में तुलसी विवाह कर विधि- विधान से पूजा की। हिंदुओं के संस्कार अनुसार तुलसी की हर घर देवी के रूप में पूजा की जाती है। इसकी नियमित पूजा से पापों से मुक्ति मिलती है।
बताया जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान श्री विष्णु क्षीरसागर में शयन करने चले जाते हैं और देवउठनी के दिन भगवान जागते हैं । इसके साथ ही मांगलिक कार्यों का भी शुरुआत हुई। तुलसी विवाह का हैं विधान देवउठनी एकादशी के दिन श्रद्धालुओं द्वारा घरों में चावल आटे से चौक बनाया जाता है। तुलसी माता चौरा के चारों ओर गन्ने का मंडप बनाकर विधि विधान से पूजा किया जाता है । तुलसी माता को महंदी, मौली धागा , फुल , चंदन , सिंदूर सुहाग के सामान की वस्तुये ,अक्षत ,मिष्ठान और पूजन सामग्री आदि भेंट की जाती है । देवउठनी एकादशी पर नगर में लोगों ने अपने घरों में गन्ने का मंडप सजा का तुलसी व शालिग्राम का विवाह किया
। आज के दिन तुलसी शालिग्राम जी की पूजा होती है धार्मिक मान्यता के अनुसार तुलसी हुआ कारण करने पर एक कन्यादान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है । घर का हर कोना दियो और रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाया। मंदिरों में भी विशेष धार्मिक अनुष्ठान हुए । इससे पहले श्रद्धालुओं ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर पूजन किया। दीपावली के बाद सन्नाटा पसरा गांव में भी शाम को तुलसी विवाह के बाद पटाखों की धमक गूँजी दिये और रंगोंलियों से हर द्वार सजा हुआ था। राउत लोग गाय , भैंस को सोहाई बांधकर दोहा के साथ आशीष दिए देवउठनी एकादशी के साथ ही मांगलिक कार्य और शुभ कार्य प्रारंभ हो गया । यह व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ सभी प्रकार की मनोकामना को पूरा करता है । एकादशी का फल अमोघ पुण्यफलदायी बताया गया है । लोगों ने अपने पुत्र- पुत्रियों के विवाह के लिए शुभ मुहूर्त देखना शुरू कर दिया। ।
Tags
खरोरा से खबर