दिनेश साहू की रिपोर्ट चारामा- रेत के अवैध उत्खनन को लेकर भाजपा जहाँ कांग्रेस को आड़े हाथों लेकर उस पर गंभीर आरोप लगाते हुए रेत के खेल पर लगातार तंज कसती रही । वही अब भाजपा शासनकाल में कांग्रेस की ही तरह भाजपा के कुछ स्थानीय नेता रेत के अवैध उत्खनन को समर्थन देते हुए अधिकारियों पत्रकारों को धौंस दिखाते नजर आ रहे है । इस पर विपक्ष के भी नेता चुप्पी साधे बैठे हुए हैं । इन दिनों उत्तर बस्तर का काँकेर जिला रेत तस्करों के लिए स्वर्ग बना हुआ है ।
विशेष कर जिला मुख्यालय कांकेर और चारामा के आसपास ही तस्करों की अधिक सक्रियता देखी जा रही है तथा अधिकतम रेत का अवैध उत्खनन तथा परिवहन भी यहीं से तस्करों के द्वारा विभिन्न स्थानों में किया जा रहा है । परिवहन का माध्यम बड़ी बड़ी हाईवा ट्रकें व ट्रैक्टर,मेटाडोर जैसी मालवाहक वाहनें होती हैं । जिनकी नंबर प्लेट भी अदृश्य व कई वाहनों के तो पंजीयन नंबर भी फर्जी होती है । इन वाहनों में उनकी क्षमता से अधिक रेत भरकर सुबह से देर रात तक की स्थिति में खूनी रफ़्तार से नेशनल व स्टेट हाईवे पर दौड़ते हुए देखा जा सकता है । इन मालवाहकों का काँकेर व चारामा क्षेत्र की नदियों में रेत परिवहन के लिए घाटों पर उतरने का समय रात के 8:00 बजे से होता है और सुबह 5:30 बजे तक सभी ट्रैक्टर व अन्य वाहन रेत लादकर उत्खनन स्थल से गायब कर दिए जाते हैं । यह समय इसलिए चुना गया है क्योंकि यह समय जिले के सभी बड़े अधिकारियों के लिए रात्रि विश्राम का समय होता है । यदि कोई ईमानदार अफ़सर घटनास्थल पर जाना भी चाहे तो उसे पुलिस बल का साथ नहीं मिल पाता । रेत की अवैध तस्करी को रोकने का मुख्य ज़िम्मा खनिज विभाग का होता है । इनके निष्क्रिय रहने पर कलेक्टर साहब भी संज्ञान लेकर कार्यवाही कर सकते हैं । किंतु अफसोस की बात यह है कि कलेक्टर तथा एसडीएम साहब भी अन्य गतिविधियों में तो बहुत सक्रियता दिखाते हैं । परंतु रेत तस्करी रोकने हेतु उनके द्वारा कोई भी प्रयास नहीं किए जाते हैं । यदि ये दो बड़े अधिकारी रेत की तस्करी के खिलाफ मुस्तैद हो जाएं तो किसी की हिम्मत नहीं है की कोई एक भी वाहन में रेत चोरी कर ले जाए और प्रशासनिक कसावट के चलते रेत की चोरी में कमी भी आ जाएगी । लेकिन पहले भी ऐसा बहुत कम होता दिखाई दिया है और वर्तमान कलेक्टर साहब के समय में तो अब तक नहीं देखा गया कि तस्करी होने वाली की रेत की कोई बहुत बड़ी खेप पकड़ी गई हो अथवा तस्करी में संलग्न वाहनों की कोई बड़ी संख्या में ज़ब्ती अथवा कार्यवाही हुई हो । इसके पीछे का कारण यह है कि रेत की तस्करी के पीछे बड़े-बड़े सफेदपोश नेताओं का खुला हाथ बताया जाता है और यदि धरपकड़ होती है तो केवल गरीब वाहन चालक पकड़े जाते हैं । जो कि मात्र थोड़ी सी वेतन के भरोसे तस्करी जैसे काम में अपने आप को फंसा लेते हैं । रेत की तसकरी जैसे अवैध काम के लिए आज तक किसी को सज़ा नहीं हुई केवल पेनाल्टी लगाकर वाहनों को छोड़ दिया जाता है । रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन में लागत शून्य और मुनाफा ज्यादा है इसके लिए वाहन मालिक अपनी गाड़ीयों को भी खतरे में डालने से परहेज नहीं करते हैं । खनिज विभाग के द्वारा स्टाफ कम होने की दुहाई देते हुए कभी भी इन पर कार्यवाही नही की जाती है ।इसी वजह से ज़िले में रेत की तस्करी बढ़ती ही चली जा रही है और यह जिला तस्करों के लिए स्वर्ग कहलाने लगा है ।
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