दिनेश साहू की रिपोर्ट चारामा- मानसून की शूरुआत जून माह के 15 तारीख से हो चुकी है । वर्षाकालीन अवधि में देश भर की सभी नदियों की रेत खदानों में उत्खनन पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाती है । जिसके बाद भी रेत माफियाओं पर इसका कोई असर होता दिखाई नही पड़ रहा है । रेत माफिया प्रतिबंध वाले सरकारी आदेश को मानने बिल्कुल भी तैयार नही है और रात होते ही वे लोग अंधेरे का फायदा उठाकर खदानों में रेत लुटने के काम में पूरे दलबल के साथ सक्रिय हो जाते हैं । सूत्रों के मुताबिक रेत की इस लूट में तस्करों को प्रशासन का पूरा सहयोग मिल रहा है । इसलिए भी इनके हौंसले दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं । कुछ ही दिनों पूर्व यहां की स्थानीय विधायक ने भी देर रात अपने समर्थकों के साथ दौरे पर से लौटते समय रेत लूट का नजारा स्वयं अपनी आंखों से देखा और लुटेरों के हौंसले देखकर दंग रह गईं । खरथा और सराधू नवागांव की खदानों में रात्रि के समय आटोमेटिक नाव से नदी में चल रहे पानी के 30 फीट भीतर से रेत निकाली जा रही थी और हाईवा ट्रकों से बड़े नगरों में परिवहन किया जा रहा था । जिस पर विधायक की दखल के बाद रात में ही प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना देते हुए अवैध रेत खदान को बंद करवाकर आटोमेटिक नाव और चेन माउंटेन मशीन को जप्त कराया गया । वो मामला समय के साथ ठंडे बस्ते में चला गया और अब फिर से रात के अंधेरे में माफियाओं ने रेत की लूटखसूट उन्हीं विवादित खदानों के साथ-साथ भिरौद,करिहा व हाराडूला की खदानों में फिर से शुरू कर दिया है । जिसका नजारा प्रतिदिन रात्रि के 9 बजे के बाद बड़ी आसानी से इन खदानों में देखा जा सकता है । जहां पर एक-एक सिंगल लाईट की हाईवा ट्रकों के केबिन में जलती हुई हल्की रौशनी वाली लंबी कतारें देखी जा सकती है । ऐसा ही कुछ नजारा भिरौद घाट का है जहां पर भी प्रतिबंध होने के बावजूद दिनदहाड़े नदियों से रेत को ट्रेक्टर के माध्यम से डंप कर हाईवा ट्रकों में बेहद ज्यादा दामों पर बेचा जा रहा है । इस तरह से रेत घाटों पर प्रतिबंध होने के सभी सरकारी दावे केवल खोखले नजर आ रहे हैं ।
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