दिनेश साहू की रिपोर्ट चारामा- अनंत चतुर्दशी के पश्चात बुधवार 18 सितंबर से श्राद्धपक्ष प्रारंभ होने जा रहा है । हिंदू धर्म में शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध पक्ष में लोग अपने स्वर्गवासी पूर्वजों को पितृ के रुप में श्रद्दांजलि अर्पित करते हुए उन्हें प्रसन्न रखने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं । पितृ पक्ष में पुरे 16 दिनों तक अपने पितरों को जल तर्पण व उनके पूजन करने का नियम है । श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों के पसंद के अनुसार भोजन बना कर उन्हें अर्पित किया जाता है । हिंदू मान्यता के अनुसार श्राद्ध पक्ष में पितरों के प्रसन्न नहीं होने से परिवार के उपर पितृदोष लगने की भी संभावना होती है । जिसके कारण परिवार के सदस्यों को कई तरह की विपदाओं का सामना करना पड़ता है । इसलिए पितृपक्ष में सभी लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने में किसी भी प्रकार की कोई कमी नही होने देते । श्राद्ध पक्ष में पूजा-पाठ के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें दान करने से परिवार को सुख शांति व समृद्धि प्राप्त होती है । इसलिए लोग पितृपक्ष में दान धर्म कर अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं । कुछ ऐसे जातक जिनकी कुंडलियों में पितृदोष होता है उन्हें जीवन में बहुत सी समस्याओं से गुजरना पड़ता है । इस अवधि में चांवल,सरसों का तेल,काले तिल,कुश व जौँ जैसी वस्तुओं का दान करना बहुत शुभ माना गया है । जौँ को इस धरती का प्रथम अनाज माना गया है । इसलिए पितृपक्ष मे जौँ के दान को स्वर्णदान के जैसे मान्यता दी गई है । ऊँगली पर कुश की अँगूठी के बिना पितर जल भी स्वीकार नहीं करते इसलिए श्राद्ध पक्ष में कुश का बहुत अधिक महत्व होता है । परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हो तो पितृपक्ष में चांवल का दान करना चाहिए । इससे परिवार में खुशहाली के साथ-साथ समृद्धि आती है ।
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