पवन बघेल की रिपोर्ट तिल्दा नेवरा- ब्रह्माकुमारीज और सरकारी स्वास्थ्य केंद्र तिल्दा द्वारा 39वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. उमा पैकरा बीएमओ तिल्दा, प्रवीण कुमार शर्मा, नेत्र सहायक अधिकारी, और सेवानिवृत्त सरकारी अस्पताल प्रशिक्षण प्रभारी विष्णु ने की। उन्होंने नेत्रदान की प्रक्रिया, पात्रता और मृत्यु के बाद नेत्रदान के लिए अयोग्यता के बारे में विस्तृत जानकारी दी और इस विषय से जुड़ी गलतफहमियों पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में बताया गया कि 5 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के बीच के लोग नेत्रदान कर सकते हैं। एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो नेत्रहीन व्यक्तियों को लाभ मिल सकता है। संक्रामक रोगों से ग्रसित लोग नेत्रदान नहीं कर सकते। नेत्रदान केवल परिवार के सदस्यों की सहमति से ही किया जा सकता है। सरकार के नियमों के अनुसार, दाता और प्राप्तकर्ता के परिवारों के बीच कोई परिचय नहीं कराया जाता है। मृत्यु के 6 घंटे के भीतर आँखों को निकाला जा सकता है, और 10 दिनों के भीतर उनका प्रत्यारोपण किया जा सकता है। मृत व्यक्ति की आँखों से कॉर्निया निकालने की प्रक्रिया केवल 30 मिनट की होती है, जो सरल और सुरक्षित है।
बीके प्रियांका दीदी ने आत्मा और शरीर के अंतर के बारे में प्रेरणादायक बातें साझा कीं और शरीर के अंगों का दान एक महान पुण्य का कार्य बताया। कार्यक्रम की शुरुआत में दो छोटी बच्चियों द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसने सभी अतिथियों और विभिन्न आयु वर्ग के दर्शकों का मन मोह लिया।
अंजू सोनी ने नेत्रदान पर एक स्वयं-लिखित कविता प्रस्तुत की, जो उपस्थित लोगों के बीच गहरी छाप छोड़ गई। अनुराग शर्मा और अनुराधा गिरी नामक दो युवाओं ने नेत्रदान पर प्रेरणादायक भाषण दिए और उनके इस प्रयास के लिए उन्हें प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए। प्रवीण शर्मा ने सभी को नेत्रदान की शपथ दिलाई, जिसमें सभी उम्र के लोग सम्मिलित हुए।
इस कार्यक्रम ने समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण कार्य किया और लोगों को इस महान कार्य के लिए प्रेरित किया।