दिनेश साहू चारामा :- चारामा ब्लॉक के जर्जर शाला भवनों के जीर्णोद्धार के लिए स्वीकृत जिला खनिज संस्थान न्यास निधि की राशि का जनपद पंचायत के अधिकारी और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि बंदरबाट करने मे लगे हुए हैं । ग्राम पंचायत पंडरीपानी के प्राथमिक शाला भवन में वर्तमान समय में कुल 40 नौनिहाल शिक्षा ग्रहण करने आते हैं । कोई भी इन नौनिहलों को एक नजर देख ले और स्कूल में छत की प्लास्टर गिरने वाली घटना को एक बार याद कर ले तो शायद कुछ पल सोंचने को मजबूर होकर स्तब्ध रह जाए । जी हां हम बात कर रहे हैं उसी विद्यालय की जहाँ पर की घटना को सोंच कर रूह काँप जाती है । पंडरीपानी के लगभग 30 से 40 वर्ष पुरानी जर्जर शाला भवन की मरम्मत के लिए वर्ष 2023-24 में DMF से 2 लाख 72 हजार रुपए स्वीकृत की गईं । इस राशि से जर्जर शाला भवन की मरम्मत की गई जिसमे कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया गया । ग्रामीणों ने तकनीकी सहायक सहायक पर आरोप लगाया है उनका कहना है कि शाला मरम्मत की उन्हें जानकारी नही दी गई और तकनीकी सहायक ने स्वयं अपनी मर्जी से जल्दबाजी में गुणवत्ताहीन कार्य कर लिपापोती कर काम समाप्त कर दिया । उसमे भी शाला भवन के कमरों को अंदर से रंगरोगन कर छोड़ दिया और भवन के बाहर की तश्वीर अभी भी अपनी बदहाल स्थिति खुद बयाँ कर रही हैं । जिसे फोटो देखकर आसानी से समझा जा सकता है । शाला भवन मरम्मत के दौरान तकनीकी सहायक और ग्राम पंचायत के मुखिया ने नौनिहालों के जान की परवाह किये बिना ही गुणवत्ताहीन कार्य करवाकर राशि आहरण करा ली ।
काम बेहद ही घटिया स्तर का किया गया था । जिसके चलते बुधवार 24 जुलाई की रात्रि को शाला भवन के छत के प्लास्टर का बहुत बड़ा हिस्सा टूटकर फर्श पर आ गया । जरा सोचिए यदि वही घटना दिन के उजाले में स्कूल में पढाई के समय पर घट जाती तो उन बेगुनाह छोटे छोटे बच्चों का क्या हाल होता जो उस विद्यालय में पढ़ने आते हैं । इस घटना के दौरान चपेट में आ जाने से कई बच्चों की जान भी जा सकती थी और कई गंभीर रूप से घायल भी हो सकते थे । फिलहाल ईश्वर ने उन बेगुनाह बच्चों को एक बार बचा ही लिया । वर्तमान समय में बच्चों को उनका स्कूल होते हुए भी बरसात के इस मौसम में खुले आसमान के नीचे पढाई करने की मजबूरी बनी हुई है । इस दिल दहलाने वाली घटना के बाद उन दोषियों पर क्या कार्यवाही होती है । और शासन प्रशासन को भी इस घटना से क्या सीख मिलती है और वे भविष्य के लिए किस तरह की सावधानी बरतते हैं । या फिर कुछ समय के अंतराल के बाद घटना को भूलकर फिर से जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की मनमानी चलती है । ये तो समय आने पर ही पता चल पाएगा ।
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