विजय गायकवाड़ रिपोर्टर कांकेर :- मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के जनदर्शन में अपनी नातिन का इलाज करने की आस लेकर पहुंचे श्री दोहत राम विश्वकर्मा को बड़ा सहारा मिला। दरअसल मुख्यमंत्री को जानकारी मिली कि जनदर्शन में उत्तर बस्तर कांकेर जिले की रहने वाली एक दस साल की दिव्यांग बच्ची दिव्या विश्वकर्मा बैठी हुई है, जिसके हाथ में विकृति है। परिवार की माली हालत काफी खराब होने की वजह से बच्ची का इलाज नहीं हो पा रहा था, जबकि डॉक्टर्स का कहना है कि उसके हाथ का ऑपरेशन करके ठीक किया जा सकता है। इसकी जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने तत्काल बच्ची को मंच में बुलाया और उसके परिजनों से पूरी जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को तत्काल आर्थिक सहायता के निर्देश दिए और एक घंटे के भीतर ही मुख्यमंत्री ने स्वयं अपने हाथों से बच्ची को इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपए का चेक सौंप दिया। श्री विश्वकर्मा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मिलकर उन्हें अपनी व्यथा बताई। श्री विश्वकर्मा ने बताया कि उनकी नातिन दिव्या विश्वकर्मा जब तीन वर्ष की थी तो उसे गेहुआं सांप (कोबरा) ने काट लिया था, जिससे उसका दायां हाथ गलने लगा था। जड़ी बूटियों से इलाज करने पर घाव तो सूख गया, लेकिन दायां हाथ विकृत हो गया। उसका इलाज करने के लिए वे लोग राजधानी रायपुर के निजी अस्पताल में डॉक्टर से मिले जहां डॉक्टरों ने बताया कि दिव्या का दो ऑपरेशन करना पड़ेगा। उसके हाथ की विकृति ठीक हो जाएगी, पर लगभग डेढ़ से दो लाख रुपए का खर्च आएगा। श्री दोहत राम विश्वकर्मा ने मुख्यमंत्री को बताया कि दिव्या के पिता श्री त्रिवेंद्र भानुप्रतापपुर विकासखण्ड के ग्राम कनेचूर में रहते हैं। श्री त्रिवेंद्र खेती किसानी का काम करते हैं और इतना बड़ा खर्च उठाने में वे असमर्थ हैं। मुख्यमंत्री ने उनकी व्यथा को संवेदनशीलता के साथ सुना और अधिकारियों को दिव्या के इलाज के लिए डेढ़ लाख रूपए की सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश के एक घंटे के भीतर ही दिव्या के इलाज के लिए चेक जारी कर दिया गया। श्री विश्वकर्मा ने नातिन के इलाज के लिए मिली त्वरित सहायता के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार बारम्बार प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि अब दिव्या का हाथ पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। वह मुख्यमंत्री की इस सहृदयता के संवेदनशीलता की सराहना करते नहीं थक रहे, क्योंकि उन्हें मुख्यमंत्री से उम्मीद से परे फौरी तौर पर आर्थिक सहायता मिल गई।
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