विजय गायकवाड़ रिपोर्टर कांकेर :- वन अधिकार अधिनियम के तहत व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र धारकों की मृत्यु/फौत होने पर विधिक वारिसानों के नाम पर काबिज वन भूमि का हस्तांतरण एवं राजस्व/वन अभिलेखों में दर्ज करने व भूमि संबंधी आवश्यक कार्यवाही की जा सकेगी। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा के द्वारा इस आशय का राजपत्र जारी किया गया है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि वन अधिकार मान्यता पत्रधारक की मृत्यु हो जाने पर विधिक वारिसानों के द्वारा फौती/नामांतरण संशोधन के लिए आवेदन एवं घोषणा पत्र राजस्व भूमि हेतु संबंधित तहसीलदार और वन विभाग की भूमि होने पर संबंधित रेंज ऑफिसर को प्रस्तुत किया जा सकेगा।
कलेक्टर श्री नीलेश महादेव क्षीरसागर ने इस संबंध में आदिवासी विकास विभाग से जारी राजपत्र के हवाले से बताया कि व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र धारक की मृत्यु हो जाने पर उनके विधिक वारिसानों को अब अधिकार हस्तांतरित किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि विधिक वारिसान के द्वारा काबिज वन भूमि के अभिलेख जिस विभाग में दर्ज हैं, उन विभाग के चिन्हांकित अधिकारियों के समक्ष आवेदन अथवा घोषणा पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसके आधार पर नामांतरण की कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर ने स्पष्ट करते हुए बताया कि काबिज वन भूमि के अभिलेख यदि राजस्व विभाग में है तो नामांतरण की कार्यवाही संबंधित तहसीलदार द्वारा की जाएगी, जबकि काबिज भूमि के अभिलेख वन विभाग में हैं तो नामांतरण की कार्यवाही संबंधित रेंज ऑफिसर के द्वारा की जाएगी।
ये दस्तावेज जमा करने होंगेः-
कलेक्टर ने बताया कि वन अधिकार मान्यता पत्र के विधिक वारिसानों को हस्तांतरण हेतु आवेदन अथवा घोषणा पत्र के साथ धारक का मृत्यु प्रमाण-पत्र अथवा संबंधित ग्राम पंचायत/ग्राम सभा के द्वारा जारी मृत्यु के संबंध में प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके अलावा सभी वैध वारिसानों के आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और सम्पर्क नम्बर संबंधित तहसीलदार/रेंज ऑफिसर के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। इसी तरह विधिक वारिसानों के बीच वनभूमि के बंटवारे की प्रक्रिया, धारक के जीवनकाल में उनके द्वारा प्रस्तावित या उनकी मृत्यु पश्चात् विधिक वारिसानों के मध्य खाता-विभाजन, सरकारी नक्शों में मान्य वन अधिकारों के सीमांकन की प्रक्रिया, अभिलेखों में त्रुटि का निराकरण और निर्णय के विरूद्ध अपील के संबंध में राजस्व विभाग एवं वन विभाग के द्वारा कार्यवाही की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि वन अधिकार पत्रधारकों की मृत्यु होने पर उनके विधिक वारिसानों के नाम वन अधिकार हस्तांतरण संबंधी प्रावधान का उल्लेख वन अधिकार अधिनियम, 2006 नियम 2007 एवं संशोधित नियम 2012 में नहीं है, जिसके कारण वंशजों को वन अधिकारों के हस्तांतरण आदि में समस्या आ रही थी। वर्तमान में व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र धारकों की मृत्यु होने के कारण उनके वारिसान के नाम पर भूमि का हस्तांरित करने तथा भविष्य में समय-समय पर वारिसानों को भूमि हस्तांतरण किये जाने की आवश्यकता को देखते हुए आदिम जाति विकास विभाग द्वारा राजपत्र जारी कर वन अधिकार पत्र धारकों के प्रकरणों में भूमि संबंधित बंटवारा, अभिलेख में त्रुटि सुधार, सीमांकन, अपील, इत्यादि का प्रावधान कर प्रक्रिया को सरलीकृत किया गया है। इसका लाभ जिले के आवेदकों को निश्चित तौर पर मिलेगा।
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