बीएनएस में अब कुल 358 नवीन धाराएं, 175 धाराएं बदल गईं, 22 धाराएं खत्म, नवीन कानूनों के प्रवर्तन पर आयोजित कार्यशाला में दी गई जानकारी......छत्तीसगढ़ सामाचार TV

विजय गायकवाड़ रिपोर्टर कांकेर :- पूरे देश में एक जुलाई 2024 से देश में तीन नए कानून लागू हो गए हैं, जिनमें भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 शामिल हैं। स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ष 1860 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) लागू हुई थी, में केन्द्र सरकार ने 16 दशक बाद 2023 में व्यापक बदलाव किए हैं, जिसमें सिर्फ धाराएं ही नहीं बदलीं, बल्कि सजा और जुर्माने के प्रावधान में भारी परिवर्तन किए गए हैं। पुराने कानून की बहुचर्चित धाराएं 302 हत्या अब 103, ठगी या धोखाधड़ी 420 अब 318 (4), चोरी 379 अब 303(2) व दुष्कर्म 376 आईपीसी अब 64 बीएनएस कहलाएंगी। आने वाले समय में अब इंडियन पीनल कोड 1860 (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू हो गई है। नवीन कानूनों के विभिन्न प्रावधानों से अवगत कराने एवं आमजनता को जागरूक करने के उद्देश्य से आज पुलिस विभाग द्वारा कार्यशाला आयोजित कर कांकेर के वरिष्ठ नागरिकों एवं मीडिया प्रतिनिधियों को जानकारी दी गई, साथ सामान्यतः प्रयुक्त होने वाली अलग-अलग धाराओं एवं उनमें निहित उपधाराओं के बारे में बताया गया।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सभाकक्ष में आयोजित ‘नवीन कानूनों का प्रवर्तन‘ विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रशिक्षु आईपीएस श्री संदीप कुमार पटेल (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भानुप्रतापपुर) ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की विभिन्न प्रमुख धाराओं व उप धाराओं के बारे में पीपीटी के माध्यम से बताया। इस अवसर पर डीएसपी श्री जी.एस. साव ने नए कानून के विभिन्न प्रावधानों पर जानकारी दी। साथ ही कानून के विशेषज्ञ अधिवक्ताओं ने भी नवीन कानून पर प्रकाश डाला।
*124(क) राजद्रोह खत्म, अब होगी ‘देशद्रोह‘ के तहत कार्रवाई-
कार्यशाला में बताया गया कि अंग्रेजों के समय के कानून 124(क) आईपीसी को नए कानून के तहत् खत्म कर उसकी जगह देशद्रोह कर दिया गया है। लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है। मगर किसी ने सशस्त्र विरोध, बम धमाका करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
*आईपीसी की 511 धारा अब बीएनएस में 358 धारा-
इस माह (जुलाई-2024) से सरकार बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) लागू कर दी है। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं है। 175 धाराएं बदल गई हैं, 18 नई जोड़ी गई हैं, साथ ही 22 धाराएं खत्म हो गई है। इसी तरह सीआरपीसी में में 533 धाराएं है, इनमें 160 धाराए बदली गई हैं। नौ नई धारा जोड़कर नौ को खत्म कर दिया गया है। इसमें पूछताछ से ट्रायल तक सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करने का प्रावधान हो गया है।
    *प्रतिक्रियाएं* 
‘‘सन् 1860 के ब्रिटिशकालीन कानून में बदलाव की महती आवश्यकता थी, जिसे दृष्टिगत करते हुए केन्द्र सरकार ने समय की मांग की आधार पर नवीन कानून लाया, जो बेहद प्रासंगिक हैं। आमजनता को नए नियमों व प्रावधानों से रू-ब-रू कराने एवं जागरूक करने विधिक साक्षरता शिविर लगाया जाना चाहिए।‘‘
- श्री सतीश लाटिया, वरिष्ठ नागरिक कांकेर
‘‘नवीन न्याय संहिता में केन्द्र शासन द्वारा सकारात्मक पक्ष पर अधिक फोकस किया गया है। विशेष तौर पर महिलाओं और बच्चों को न्याय दिलाने के लिए नए प्रावधान किए गए हैं। इसमें सिर्फ धाराएं ही नहीं बदलीं, बल्कि न्याय व्यवस्था को और अधिक सुलभ और आमजनता के लिए सार्थक बनाने का प्रयास किया गया है।‘‘
- श्री ईश्वरलाल साहू, अधिवक्ता कांकेर
‘‘पुराने कानूनों के स्थान पर नई न्याय संहिता लागू किया जाना स्वागतेय है। इससे पीड़ितों को अपेक्षाकृत अच्छा और जल्द न्याय मिलेगा। आमजनता को नए नियमों-कायदों के प्रति जागरूक करने में मीडिया की अहम भूमिका रहेगी और इस सार्थक कार्य में हमारा सदैव सहयोग रहेगा।‘‘
-श्री वीरेन्द्र यादव, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रतिनिधि कांकेर

‘‘दण्ड संहिता के स्थान पर न्याय संहिता की शब्दावली से ही स्पष्ट है कि दण्डित करने के स्थान पर पीड़ित को न्याय दिलाना अधिक आवश्यक है। पुराने प्रावधानों में तब्दीली से भारत की न्याय व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बढ़ेगा।‘‘
-श्री राजा देवनानी, व्यवसायी कांकेर
‘‘नए कानून नागरिक केन्द्रित, अभियुक्त केन्द्रित और पीड़ित केन्द्रित हैं, जो कल्याणकारी न्याय व्यवस्था की अवधारणा है। इससे लोगों को त्वरित, तात्कालिक न्याय और निष्पक्ष न्याय मिलेगा, साथ ही आज के दौर में ये अधिनियम बेहद प्रासंगिक सिद्ध होंगे।‘
-श्री टिंकेश्वर तिवारी, अधिवक्ता एवं पत्रकार कांकेर।

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