विजय गायकवाड़ रिपोर्टर कांकेर :- जंगो रायतार विद्या केतुल शिक्षण एवं शोध संस्थान दमकसा के नैसर्गिक पर्यावरण शिक्षा निकेतन ज्ञानबाड़ा में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। विश्व पर्यावरण दिवस के मुख्य अतिथि टीकाराम सहारे महाराष्ट्र थे। अध्यक्षता ग्राम गायता पुनऊराम दुग्गा ने किया। विशेष अतिथि रूपसिंह कोमरा थे। पर्यावरण पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम पुरस्कार 5सौ रूपये, द्वितीय पुरस्कार 250रूपये, तृतीय पुरस्कार 150रूपये प्रतिभागियों को प्रदान किया गया। इस अवसर पर पौधारोपण किया और जंगो रायतार विद्या केतुल शिक्षण एवं शोध संस्थान दमकसा के 32वर्ष पूरे होने पर वर्षा ऋतु में 32पौधारोपण करने का संकल्प लिया है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टीकाराम सहारे ने कहा कि समय निकलती जा रही है। पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव बढ़ती जा रही है। लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस उपाय नहीं हो रही है। मनुष्य भी पर्यावरण को क्षति पहुंचाने कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पर्यावरण विद एवं गोडी धर्माचार्य भाषाधर्म आचार्य संस्था के संस्थापक शेरसिंह आंचला ने भी अपने संबोधन में कहा कि शासन भी पर्यावरण संतुलन के लिए पेड़ों को बचाने मुहिम नहीं चला रही है । आधुनिक युग में औद्योगिक क्रांति से पेड़ों की कटाई हो रही है। खानापूर्ति के लिए पेड़ भी लगाये जा रहे हैं, लेकिन बचाने में विफल हो रहे हैं। इन्होंने कहा शुद्ध वातावरण में रहने वाले लोग हैं, लेकिन हमारे क्षेत्रों में भी पर्यावरण असंतुलित हो रही है। कारण यह कि जमीन की लालच और पट्टा मिलने की लोभ से हमने भी पेड़ों की कटाई किया है। पर अब हमें जागने की जरूरत है। इसके किसी की मुंह ताकने और सहयोग की आवश्यकता नहीं है। अपने आसपास के पेड़ों और जंगलों को कटाई से बचायें। जहां खाली जमीन हैं। उस पर पौधारोपण कर पेड़ बनने तक सुरक्षा करें। हम निरंतर ऐसे कार्य किये तो अपने खोये हुए जंगल को पुनः प्राप्त कर लेंगे। इस अवसर पर शोध एवं लोककथा संग्रहणकर्ता माधवी मंडावी, कन्हैया पुड़ो, भारत आचला, रतन आचला सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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