आपातकाल लगा कर लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने वाले कांग्रेसी आज संविधान की दुहाई दे रहे है-निरंजन सिन्हा......छत्तीसगढ़ सामाचार TV

विजय गायकवाड़ रिपोर्टर कांकेर :- 25 जून 1975 को तात्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लोकतंत्र की हत्या करते हुए देश पर जबरन थोपे गये आपातकाल काले दिवस के विरोध में आज भाजपा कार्यलय कमल सदन कांकेर में गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य वक्ता के रूप में बस्तर संभाग के भाजपा सह संगठन प्रभारी निरंजन सिन्हा उपस्थित रहे साथ ही भाजपा प्रदेश मंत्री महेश जैन, भाजपा जिलाध्यक्ष सतीश लाटिया, कांकेर विधायक आशाराम नेताम , पूर्व विधायक सुमित्रा मारकोले, शिशुपाल सोरी, महिला मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष शालिनी राजपूत, वरिष्ठ आदिवासी नेता विजय कुमार मंडावी, जिला महामंत्री बृजेश चौहान, दिलीप जायसवाल, सत्येन्द्र सोनी मंचस्थ रहे ।
आपातकाल के बारे में बताते हुए निरंजन सिन्हा ने कहा कि आपातकाल के काले अध्याय के लिए कांग्रेस पार्टी को जनता से माफी मांगनी चाहिए । आपातकाल लगने वाला दिन काला दिन था जिसे तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इतिहास के पन्नों को भी काला करने का काम किया है। आपात काल में इंदिरा सरकार ने मनमानी करते हुये जनंसघ के बड़े नेताओं को जहां जेल में बंद कर दिया था वहीं मीडिया पर लगाम लगाने मीडिया संस्थानों में ताला लगवा दिया था । आपातकाल में जनता के बोलने की आजादी छीन ली गई थी । इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध ठहराने के बाद इंदिरा गांधी द्वारा मनमानी, तानाशाही रवैवा अपनाते हुए अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश पर जबरदस्ती आपातकाल थोपा गया । फैसला देने वाले जज व वकील को तरह-तरह से प्रलोभन दिये गये और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व कांग्रेस पार्टी द्वारा इस दौरान हर वो काम किया गया जो पूर्णतः अवैध था । आपातकाल में चुनाव स्थगित कर नागरिको के अधिकारों का दमन किया गया । लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि कहा । आपातकाल की घोषणा के साथ ही आरएसएस के स्वंयसेवकों व तमाम गैर कांग्रेसी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई । विपक्षी नेताओं के आवाज को दबाते हुए जेल में बंद कर प्रताड़ित किया जाने लगा । आपातकाल के विरूद्ध सत्याग्रह करने वाले लाखों लोगों को जेल भेज दिया गया । लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मोरारजी भाई देसाई, अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवानी, अरूण जेटली, मलकानी जार्ज फर्नांडिस, नीतिश कुमार, सुशील मोदी, रामविलास पासवान, शरद यादव व छ.ग. में सच्चिदानंद उपासने सहित हजारों नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया । लाखों हुतात्माओ त्याग व बलिदान से प्राप्त इस आजादी व लोकतंत्र को कांग्रेसी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात को खत्म कर देश का फिर से तानाशाही और गुलामी के उसी बियाबन में धकेल दिया जहां से 1947 में निकल कर भारत आया था । वरिष्ठ आदिवासी नेता विजय कुमार मंडावी ने आपातकाल के बारे में बोलते हुए कहा कि जो आज की पीढ़ी है उन्हें यह जानना बेहद जरूरी है कि किस प्रकार आपातकाल के दौरान अभिव्यक्ति की आजादी को भी बुरी तरह कुचल दिया गया था । लोगों की जबरन नसबंदी की गई । मीडिया पर पुरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया था । आपातकाल के तुरंत बाद अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई ताकि ज्यादातर अखबार आपातकाल के काले अध्याय के बारे में कोई भी खबर छाप न सके। 327 पत्रकारों को मीसा कानून के तहत जेल में बंद कर दिया गया । विदेशी संवाददाताओं को देश से बाहर जाने का आदेश दे दिया गया । उनके आफिस के टेलीफोन कनेक्शन काट दिये गये । जो कांग्रेसी आज अभिव्यक्ति की आजादी व लोकतंत्र की बात करते है उन्हें आपातकाल को याद कर लेना चाहिए । आपातकाल की इस बरसी को सभी देशवासियों को याद रखने की जरूरत है ताकि आगे ऐसा तानाशाही कोई और न कर पाए । 
   भाजपा जिलाध्यक्ष सतीश लाटिया व विधायक आशाराम नेताम ने विधानसभा व लोकसभा चुनाव में जीत व छग तथा देश मे भाजपा की सरकार बनने पर कार्यकर्ताओं को बधाई दी। उन्होंने कार्यकर्ताओ को आपस मे सामंजस्य बनाकर कार्य करने की नसीहत दी । उन्होंने कहा कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हम सब कार्यकर्ताओ ने जिस लगन और मेहनत से कार्य करते जीत दर्ज की है आगे भी नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में ऐसे ही कड़ी मेहनत से जीत दर्ज अवश्य करेंगे । 
कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री बृजेश चौहान ने किया । 
इस गोष्ठी में राजीव लोचन सिंह, अनूप सिंह, सुषमा गनजीर, राजा देवनानी, निपेन्द्र पटेल, टेकेश्वर जैन, वीरेंद्र श्रीवास्तव, नारायण पोटाई, पंचू राम, डॉ ईश्वर सिन्हा, चन्द्र प्रकाश ठाकुर, अरुण कौशिक, मीरा सलाम, विजय लक्ष्मी कौशिक, अनिरुद्ध साहू, गयाराम देवांगन, जागेवशरी साहू, उगेश्वरी उइके, शकुंतला जैन, दिनेश मिश्रा, कमलेश उसेंडी, मनोज ध्रुव, राकेश शर्मा, अंशु शुक्ला, उत्तम जैन, धनेंद्र ठाकुर, जय शिवना, लोकेश्वर सेन, जयंत अठभेया, रमशीला साहू, अंकित पोटाई, विवेक गुप्ता, पीयूष वलेचा, नीलू तिवारी, उत्तम जैन, द्वारका साहू, दशरथ साहू, सलीम मेमन, सावंत नेताम, अशोक नेताम, प्रशांत यादव, पीयूष बैरागी, सितम्बर कवडे, ईश्वर कावड़े, रोहित यादव, जितेंद्र सिन्हा, गोकुल पटेल, हर्ष उइके, योगेंद्र सोनवानी, मोंटी खटवानी, पीयूष कश्यप, जतिन अठभेया आदि उपस्थित रहे ।

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