चन्द्रहास निषाद की रिपोर्ट गरियाबंद- पूरे ज़िले में शुक्रवार को वट सावित्री व्रत धूमधाम से मनाया गया। हिन्दू धर्मावलंबी महिलाओं ने व्रत रखकर सुहाग के कल्याण एवं रक्षा की कामना की। व्रत को लेकर प्रात: से ही महिलाओं का हुजूम शहर के विभिन्न बरगद पेड़ के नीचे दिखने लगा था वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महिलाओं ने पंचोपचार विधि से वट वृक्ष का पूजन किया एवं वृक्ष में कच्चा सूत बांधकर परिक्रमा की। लाल-पीली साडिय़ों में सजी महिलाओं ने बताया कि वे इस पर्व को लेकर आज व्रत धारण करेंगी। उन्होंने पूजन के उपरांत सदा-सुहागिन रहने की मनौती मांगी है।
सौभाग्यवर्धक,पापहारक,दुःखप्रणाशक और धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है।जो स्त्रियां सावित्री व्रत करती हैं वे पुत्र-पौत्र-धन आदि पदार्थों को प्राप्त कर चिरकाल तक पृथ्वी पर सब सुख भोग कर पति के साथ ब्रह्मलोक को प्राप्त करती हैं।
रश्मि सिन्हा ने बताया कि पुरातनकाल में सती सावित्री ने इस व्रत को किया था तथा सदा-सुहागन रहने की मंगलकामना की थी। व्रत के परिणामस्वरूप उनके पति की उम्र पूरी हो जाने के बाद भी यमराज ने पुन: जीवनदान दिया था। तबसे यह व्रत पृथ्वीलोक पर प्रचलित है और सुहागिन महिलाएं इस व्रत को धारण करती रही हैं। व्रत को लेकर दिनभर सड़कों पर रंग-बिरंगे परिधानों में सजी महिलाओं की भीड़ देखी गई। विदित हो कि वट सावित्री का पर्व हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस दिन परंपरा अनुसार सुहागिनें स्त्री पुराने वट (बरगद) वृक्ष की पूजा कर उसे पीले धागे से बांधकर उसका फेरा लगाती हैं। पुराणों के अनुसार वट सावित्री के ही दिन सती ने यमराज से अपने पति के प्राण बचाकर लाए थे। वट सावित्री का त्यौहार सुहागिन स्त्रीयों के द्वारा काफी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
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