विजय गायकवाड़ रिपोर्टर कांकेर :- ग्रीष्म ऋतु के चलते वर्तमान में भीषण गर्मी पड़ रही है। इस दौरान तापमान में वृद्धि होने की वजह से लू लगने की आशंका अधिक होती है। लू से बचाव एवं उसके उपाय हेतु कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह द्वारा आवश्यक दिशा निर्देश जारी जारी किए गए हैं।
लू के लक्षण- सिर में भारीपन और दर्द होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक हो जाने के बाद भी पसीने का न आना, अधिक प्यास और पेशाब कम आना, भूख कम लगना और बेहोश होना आदि लू लगने के प्रमुख लक्षण हैं।
लू से बचाव के उपाय- लू लगने का प्रमुख कारण तेज धूप और गर्मी में ज्यादा देर तक रहने का मुख्यतया शरीर में नमक की कमी होना है। अतः इससे बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जाएं, धूप में निकलने से पहले सिर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध लें, पानी अधिक मात्रा में पिएं, अधिक समय तक धूप में न रहें, गर्मी के दौरान नरम मुलायम सूती कपड़े पहनने चाहिए ताकि हवा और पसीने को सोखते रहे। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पिएं, चक्कर आने, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें तथा शीतल पेय तथा जल अथवा उपलब्ध हो तो फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श लिया जावे तथा उल्टी, सिर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह ली जाए।
लू लगने पर किये जाने वाला प्रारंभिक उपचार- बुखार पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठण्डे पानी की पट्टी लगायें, अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलायें जैसे कच्चे आम का पना, जलजीरा आदि। पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लिटा दें, शरीर पर ठण्डे पानी का छिड़काव करते रहें, पीड़ित व्यक्ति को यथाशीघ्र किसी नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में उपचार हेतु ले जावें। मितानिन, ए.एन.एम. से ओ.आर.एस. के पैकेट हेतु संपर्क करें।
हीट वेवः क्या करें और क्या न करें- जितना हो सके पर्याप्त पानी पिएं, भले ही प्यास न लगी हो। मिर्गी, हृदय, गुर्दे या लीवर से संबंधित रोग वाले जो तरल प्रतिबंधित आहार लेते हो. तरल पदार्थ लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें। हल्के रंग के, ढीले सूती कपड़े पहनें, ओ.आर.एस. (ओरल हाइड्रेशन) घोल, घर का बना पेय लस्सी, (तोरानी चावल) का पानी, नींबू का पानी, छाछ, आदि का उपयोग करें। बाहर जाने से बचें, यदि बाहर जाना आवश्यक है, तो अपने सिर (कपड़े, टोपी या छाता) और चेहरे को कवर करें। जहां तक संभव हो किसी भी सतह को छूने से बचें।
अन्य सावधानियां- जितना हो सके घर के अंदर रहें, अपने घर को ठंडा रखें धूप से बचाव के लिए रात में पर्दे, शटर का उपयोग करें और खिड़कियां खोलें। निचली मंजिलों पर बने रहने का प्रयास करें। पंखों का उपयोग करें, कपड़ों को नम करें और अधिक गर्मी में ठंडे पानी में ही स्नान करें। यदि आप बीमार महसूस करते हैं तो उच्च बुखार/लगातार सिरदर्द, चक्कर आना, मतली या भटकाव, लगातार खांसी, सांस की तकलीफ है तो तुरंत डॉक्टर को दिखायें तथा जानवरों को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें।
क्या न करें- गर्मी के दौरान बाहर न जाएं। अत्यधिक गर्मी के घाटों के दौरान बाहर जाने से बचें विशेष रूप से दोपहर 12 बजे से 03 बजे के बीच। नंगे पैर या बिना चेहरे को ढंके और बिना सिर ढंककर बाहर न जाएं। व्यस्थतम समय (दोपहर के दौरान खाना पकाने से बचो। खाना पकाने वाले क्षेत्रों (रसोई घरों) में दरवाजे और खिड़कियां खोलकर रखें, जिससे पर्याप्त रूप से हवा आ सके। शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें जो शरीर को निर्जलित करते हैं। उच्च प्रोटीन, मसालेदार और तेलीय भोजन खानें से बचें. बासी खाना न खाएं और बीमार होने पर बाहर धूप में न जाएं घर पर रहें।
नियोक्ता और श्रमिक
क्या करें- कार्यस्थल पर स्वच्छ और ठंडा पेयजल प्रदान करें, श्रमिकों को सीधे धूप से बचने के लिए सावधानी बरतें। यदि उन्हें खुले में काम करना पड़ता है जैसे कि (कृषि मजदूर, मनरेगा मजदूर आदि) तो सुनिश्चित करें कि ये हर समय अपना सिर और चेहरा ढंके रहें। दिन के समय निर्धारित समय-सारणी निश्चित करें, खुले में काम करने के लिए विश्राम गृह की अवधि और सीमा बढ़ाएं। गर्भवती महिलाओं या कामगारों की चिकित्सकीय स्थिति पर विशेष ध्यान दें। यदि कोई बीमार है तो उसे डयूटी पर्यवेक्षक को सूचित किया जाना चाहिए। कार्यस्थल पर, धूम्रपान या तंबाकू न ही थूकें और न ही चबाएं। जो लोग बीमार हैं उनके निकट संपर्क से बचें तथा बीमार होने पर काम पर न जाएँ घर पर ही रहें।
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