विजय गायकवाड़ रिपोर्टर कांकेर :- जंगोरायतार विद्या केतुल दमकसा दुर्गूकोंदल जिला कांकेर छत्तीसगढ़ में संस्था के संस्थापक पर्यावरण विद एवं गोंडी धर्माचार्य,भाषाचार्य जैसे अनेक नामों से छत्तीसगढ़ के अलावा देश के अनेक प्रातों में जाने जाने वाले शेरसिंह आचला जी के मार्गदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर सशक्त मातृशक्तियों एवं आजीवन कुंवारी कन्याओं का सम्मान समारोह का आयोजन 22 मई को दमकसा दुर्गूकोंदल में किया गया । कार्यक्रम के मुख्यातिथि राष्ट्रीय कोयापुनेम महिला अध्यक्ष तिरूमाय मंगला ताई उयके जी नागपुर महाराष्ट्र के द्वारा सम्पन्न हुआ।
आचला जी पृथ्वी दिवस,जल दिवस,जैव विविधता दिवस पर्यावरण दिवस को प्रति वर्ष लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य को लेकर जब से संस्था की स्थापना हुई है आज 32 वर्ष होने जा रहा है तब से लगातार आयोजन करते आ रहे हैं कभी सांयकल यात्रा तो कभी पद यात्रा कर वृक्ष लगाओ जीवन बचाओ को सार्थक करने का प्रयास में लगे रहते हैं और अलग-अलग वर्षों में अलग- अलग थीम को लेकर चलते हैं उसी प्रकार इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता का थीम सशक्त मातृशक्तियों पर केंद्रित रहा है क्योंकि कोई भी उद्देश्य बिना मातृशक्ति के पूर्ण होना असम्भव है इसलिए मातृशक्ति के रूप मंगला ताई जी को आमंत्रित किया गया था जिन्होंने अपनी उद्बोधन में महिलाओं को भय त्याग कर अपने समाज और राष्ट्र हित के लिए आगे आने आह्वान किया ताई जी भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष वेशभूषा से भ्रमण करते हैं और बेबाकी से अपनी बात रखते हैं जिसके कारण वे देश के कोने-कोने में जाने जाते हैं ।
कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए मातृशक्तियों का सम्मान किया गया तथा वृक्षारोपण कर जैवविविधता को संरक्षित करने का संकल्प लिया गया । इस अवसर पर पर्यावरण प्रेमी चंद्रकुमार ध्रुव ब्याख्याता अंतागढ़ ने जैवविविधता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए आदिवासियों की भूमिका को अपनी क्षेत्रीय अंदाज में बहुत सुंदर ढंग से समझाने का प्रयास किया डी आर आचला सेवानिवृत्त डी आई जी पुलिस ने भी उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए अपने जीवन में कैसे संघर्ष करके पुलिस अधिकारी के उच्च पद तक पहुंचे इस तारतम्य में युवाओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ कर समाज के उत्थान में योगदान देने के लिए प्रेरित किया । मातृशक्ति तिरूमाय शकुन्तला तारम ने अपने उद्बोधन में महिला सशक्तिकरण पर विशेष महत्व देते हुए महिलाओं के स्तर को उपर उठाने के लिए उनकी टीम द्वारा किए जा रहे प्रयासों को संक्षेप में बताया गया। कोणडे के प्राचार्य बाबुलाल कोमरे ने स्थानीय गोंडी भाषा में अपना विचार ब्यक्त किये ।यह कार्यक्रम ऐसा लगा जैसे वास्तविक रूप से प्रकृति के छांव में हो रहा है और भरपूर प्यार दुलार मिल रहा है क्योंकि यह कार्यक्रम एक पेड़ के नीचे छाया में बैठक ब्यवस्था थी और चारों ओर पेड़ पौधे होने के कारण एसी कूलर से भी अच्छी खुश नुमा वातावरण महसूस हो रहा था प्रकृति अपनी उपस्थिति का अहसास करा रहा था यदि हम उतने के लिए टेंट ब्यवस्था करना चाहें तो हजारों रुपए खर्च करने पड़ सकते थे उसके बाद भी वह वातावरण सभंव नहीं था जो आज सभी शहरों में रहने वालों ने महसूस की , आज यदि हम देखें तो आदिवासी क्षेत्रों में ही जंगल कुछ हद तक बचे हुए हैं और बाकी क्षेत्रों में लगभग सफाया हो गया है। इसलिए सिर्फ आज जल जंगल जमीन बचाने की बात कही जा रही है लेकिन आधुनिकता के दौड़ में सब अंधे होगये और सिर्फ लोगों को धरती माता का दोहन ही सूझता है जो जीव जगत के लिए घातक है। कार्यक्रम में सोनाऊ राम नेताम जी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोंडवाना गोंड महासभा विशेष रूप से उपस्थित रहे हैं।
दुर्गूकोंदल वन विभाग द्वारा पचास पौधे प्रदान किए गए इस अवसर पर मुकेश कुमारनेताम वन परिक्षेत्र अधिकारी का पूरा अमला लगा रहा है तथा कांकेर, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गूकोंदल के कर्मचारीयों काआर्थिक, मानसिक, शारीरिक रूप से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सरगुजा से शंकर सिंह मरावी एवं रूपलाल मरावी, महाराष्ट्र दोरबा से रामजी लाल पोटाई, ताई जी की नाति प्रज्वल उयके नागपुर महाराष्ट्र जैसे पर्यावरण प्रेमी पहुंचे हुए थे इसके अलावा कांकेर से मातृशक्ति तिरूमाय सत्यवती मरकाम,अनुपा मण्डावी, पुष्पा नेताम, उषा मरकाम, अमरलता नरेटी, ईण्दल मण्डावी,असवन कोड़ोपी, कोण्डागांव से रजमन नेताम दुर्गूकोंदल से धर्मसिंह नरेटी, डॉ धनाजु नरेटी,नेमालाल कोमरा, तिरूमाय रमशीला कोमरा, धनीराम पद्दा, शिवलाल पुड़ो, भागवत मंडावी, नीलकंठ सोरी, झाड़ू राम उयका सर्कल अध्यक्ष, श्याम लाल भगत रायगढ़ बीरसिंग उसेंडी अंतागढ़ भानुप्रतापपुर से मातृशक्ति तिरूमाय अर्मिला सोरी, नीतु लाटिया, अनसुईया ध्रुव, लक्ष्मी नाग, रुक्मणी ध्रुव, हेमलता वाडिवा, राधे लाल नुरुटी, श्री राम उयके, लालसिंह पोटाई, राजेन्द्र उसेंडी, देवनाथ कोरेटी आदि उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन पारस उसेंडी राष्ट्रीय सचिव गोंडी भाषा मानकीकरण समिति छत्तीसगढ़ ने किया।
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