संतोष मरकाम ब्यूरो चीफ बस्तर संभाग- अदभुत #वीजा #पंडुंम ( बीजों को अमर करने का त्योहार)
हजारों सालों से सतत् अनुसंधान के बाद विकसित होकर विभिन्न रिति रिवाजों का समुच्चय ही हम मूलवासियों का यह महान पंडुम(पर्व) है यह एक ऐसा महान पर्व है जिसमें हमारे गाँव के तोड़ी गायता /कसेर गायता/माटी गायता के नेत्तृत्व में सभी ग्रामवासी #प्रकृति_की_अमरता की प्लानिंग करते हैं और अगले साल के वीजा पंडुंम तक की कार्ययोजना बनाकर उसका कढ़ाई से पालन करते हैं और आने वाले भविष्य में भी यह महान परंपरा सतत् चलती रहे इसके लिए गाँव के बच्चों व युवाओ को इस दौरान गीतों और मजेदार खेलों के द्वारा सिखाया भी जाता है।
इसलिए हम #कोयतोरियन समुदायों के बसाहट आज भी जंगलों से भरे हुए हैं "बीज " और उनका प्राकृतिक अंकुरण सुनिश्चित करना इस पर्व का मुख्य लक्ष्य है इस दौरान गाँव में मौजूद विभिन्न प्रकार के बीजों की किस्मों की विविधता की भी गणना की जाती है इसी प्रकार मौसम की सटीक अनुमान लगाकर कृषि का वार्षिक कैलेंडर भी डिजाइन किया जाता है कि किस महीने में किस फसल की कौन सी वैराइटी की बुवाई करें वर्तमान समय में दुनिया के सभी बड़े व विकसित देश बीजों की लड़ाई लड़ रहे हैं बीजों को अपने नाम पैंटेट कराकर उसके बीजों को बेचने का एकाधिकार करने की कोशिश में लगे हुए हैं लगभग हर किसान आज बहुराष्ट्रीय कंपनियों के जाल में फंस चूका है ऐसे मुश्किल समय में यह वीजा पंडुंम का पर्व और ऐ महान मूलनिवासी समुदाय हमें एक नयी उम्मीद जगाते है कि हमारा हर परिवार, हर गांव कैसे बीजों के लिए आत्मनिर्भर बने.कैसे हम बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के #मकड़जाल से बाहर निकले. और अपने व्यवस्था पर आधारित होकर बीजों का संरक्षण और संवर्धन कर के अपने खेत खलिहान में बुवाई करे। ऐसे अदभुत व्यवस्था बनाने वाले महान पुरखों को नमन लिंगोन जोहार।
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