दिनेश साहू की रिपोर्ट चारामा- खनिज एवं पर्यावरण नियमों का हवाला देते हुए शासन के द्वारा मिट्टी से बनने वाली लाल ईंटों के निर्माण को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है । किन्तु धरातल पर ये नियम कायदे केवल कागजों तक ही सिमटती दिखाई पड़ रही है ।
कांकेर जिले में इन दिनों लाल ईंट बनाने वाले ठेकेदार पूरी तरह से बे-लगाम हो चुके हैं । सूत्रों से खबर मिल रही है कि ठेकेदारों को इस अवैध कारोबार को अंजाम देने में शासन-प्रशासन का हर तरह से संरक्षण प्राप्त है । इसलिए अवैध लाल ईंट भट्ठियों के संचालकों में कार्यवाही को लेकर शासन- प्रशासन का कोई भी डर भय नहीं है क्योंकि जिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को इस अवैध कारोबार पर रोक लगाने का अधिकार है उन्हें ही इन अवैध कारोबारियों के द्वारा समय-समय पर बड़े पैकेज देकर मैनेज किए जाने की भी सूचना मिल रही है । जिसके चलते जिले भर में बिना किसी रोक-टोक के इस अवैध कार्य को धड़ल्ले से किया जा रहा है । जिसके कारण क्षेत्र में निर्माणाधीन निजी भवनों के अलावा सरकारी भवनों पर भी प्रतिबंध होने के बावजूद लाल ईंटों से ही निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं । जिसमे नियम के विरुद्ध विभागीय उप अभियंताओं के द्वारा सरकारी निर्माण कार्यों के मूल्यांकन कर ठेकेदारों को राशि के भुगतान भी कराए जा रहे हैं । समूचे जिले में अवैध रुप से चल रहे लाल ईंट भट्टे के संचालकों पर जब कोई कार्यवाही ही नहीं किया जाना है तो फिर ऐसे नियम बनाए ही क्यों गए हैं । इस बात पर गहनता से चिंतन करने का विषय हैं । खैर अब देखना यह है कि मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इन अवैध लाल ईंट भट्ठियों के संचालकों पर किस प्रकार की और क्या कार्यवाही करते हैं । ये तो समय आने पर खनिज विभाग की कार्यवाही के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा ।
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