सामाजिक कुरूतियों को दूर कर फिजूलखर्च पर प्रतिबंध लगाया गया......छत्तीसगढ़ सामाचार TV

RKK दुर्गूकोंदल:- गोंडवाना भवन दुर्गूकोंदल में गोंडवाना समाज समन्वय समिति विकासखंड भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, कोयलीबेड़ा, दुर्गूकोंदल की संयुक्त बैठक आयोजित किया गया। जिसमें चारों ब्लॉक के पदाधिकारियों की उपस्थिति में समाज के सामाजिक नियमों के सम्बन्ध में चर्चा किया गया। समाज में जो कुरीति है, इसे दूर करने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया। साथ ही चारों ब्लॉक में सामाजिक नेंग नियम में एकरूपता लाने हेतु नियम बनाया गया। सामाजिक कार्यों को बिना किसी दिखावा के सादगी पूर्ण तरीके से करने का निर्णय लिया गया। समाज में गरीब अमीर का भाव दूर हो, समाज के प्रत्येक व्यक्ति, परिवार पर समाज का नियम लागू हो। सामाजिक कार्य मे विभिन्न प्रकार के आडम्बरों पर प्रतिबंध लगाकर कर समाज की आर्थिक स्थिति जो मजबूत करने पर विचार कर निर्णय का कड़ाई से पालन करने एवं गांव गांव में प्रचार करने का प्रस्ताव पारित किया गया। जिस विषयों पर समाज द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है, अपने अपने ब्लॉक् के लेटरपेड से जारी करने और उल्लघंन करने पर दण्ड की व्यवस्था की गई है। 

जन्म संस्कार(टोंडा संस्कार)
  
    जन्म संस्कार 6 से 21 दिन में करना अनिवार्य है। छष्टी के दिन खीर-पूड़ी बनाना, मांस-मदिरा का उपयोग करना, डीजे लगाना, कपड़ा देना लेना, मायके पक्ष से बारात जैसे स्थिति में जाना प्रतिबंधित किया गया है। बच्चे का मुंडन अक्को मामा से करवाना है, ग्राम रजिस्टर में बच्चे का पंजीयन कर 151रूपये समाज फण्ड में जमा करना अनिवार्य किया गया है।
विवाह संस्कार (मंडा संस्कार)

   विवाह संस्कार गोंडी रीति-रिवाज से करना है, वेदी रीति, साकोचार, कोर्ट शादी, अन्य सम्प्रदाय में शादी, अन्तर्जातीय विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। विवाह में सामाजिक बाजा बजाना, बारात में 50 से 75 की संख्या में जाने का निर्णय लिया गया है। वैवाहिक नियम में पेन कार्य हेत एक पाव महुआ दारू का ही प्रावधान है। फलदान के नाम से जयमाला पहनाना, अंगूठी पहनाना प्रतिबंध है। मंझली शादी, मांस, मदिरा, खीर पूड़ी, डीजे लगाना, स्टेज में टिकान बिठाना, पेड़बाजा, बफर सिस्टम खाना व्यवस्था, कपड़ा लेना देना, टीकावन समान को मंडप में निकालना प्रतिबंध। समाज प्रमुखों ने विवाह में सामाग्री के स्थान पर राशि भेंट करने की निर्णय लिया है।

मृत्यु संस्कार(कुंडा संस्कार)

आदिवासी गोंड़ समाज में मृत शरीर को दफनाने का रिवाज है। काठी में परिवार को छोड़कर सभी राशि भेंट करें। अस्थि विसर्जन करना, भैरव पूजा करना प्रतिबंध, रंग गुलाल खेलना, अनावश्यक भेंट देना, पगबंधी में कपड़ा देना, खीर पूड़ी बनाना, फ़ोटो को रखना और टिकना, पक्का मठ बनाना प्रतिबंधित किया गया है। मृत्यु संस्कार 30दिन के अंदर करना अनिवार्य किया गया है।
विवाह, मृत्यु, नामकरण संस्कार में गोंड़ समाज ब्लाक दुर्गूकोंदल झाड़ूराम उयका, सचिव नेमालाल कोमरा, उपाध्यक्ष रमेश दुग्गा, उपाध्यक्ष रामचंद्र कल्लो, संरक्षक सोमजी दुग्गा, भानुप्रतापपुर ब्लाक अध्यक्ष हरि कावड़े, सचिव कांशीराम दर्रो, आडीटर लालसिंह पोटाई, अंतागढ़, कोयलीबेड़ा बिसनाथ दर्रो, उपाध्यक्ष बरातू दुग्गा, रामनाथ उसेंडी, अंतागढ़ ब्लाक अध्यक्ष संतलाल दुग्गा, परगना सचिव बिहारी गावड़े, कोलर परगना सचिव राजकुमार मंडावी ने कहा कि हमने समाज को आर्थिक क्षति से बचाने और दिखावे में आकर धन की बर्बादी पर समाज को रोकने के लिए निरंतर बैठक और चर्चा के नियम बनाये हैं, और आज 3 अप्रैल को संयुक्त बैठक में सर्वसम्मति जारी कर रहे हैं, समाज के ब्लाक, सर्कल पदाधिकारी, समाज के अनुभवी, शिक्षित प्रबुद्ध जन इस नियम का पालन करायें। समाज के द्वारा पारित नियमों का उल्लंघन करने पर संबंधित परिवार एवं गांव प्रमुखों को 31हजार रूपये आर्थिक दंड लिया जायेगा। यह निर्णय सिर्फ आर्थिक क्षति से बचाने और धन की बर्बादी को रोकने और समाज में एक समान जन्म, मृत्यु, विवाह संस्कार को संपन्न कराने के लिए निर्णय लिया गया है। बैठक में जगतराम दुग्गा, परगना अध्यक्ष प्रेम उयका, सोमलाल मंडावी, बिहारी गावड़े, रमशिला कोमरा सहित बड़ी संख्या में चारों विकासखंड के गोंड़ समाज के प्रमुख उपस्थित थे।

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