RKK की रिपोर्ट दुर्गूकोंदल :- प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है।पूरे भारत और अप्रवासी भारतीयों में हनुमान जयंती को बड़े उमंग और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल हनुमान जयंती 23 अप्रैल मंगलवार के दिन मनाई गई। हालांकि, हनुमान जयंती को 'हनुमान जन्मोत्सव' कहना ज्यादा उचित रहेगा क्योंकि मान्यता है कि बजरंगबली आज भी धरती पर सशरीर मौजूद हैं।
वह आज भी सभी के संकटों का निवारण करते हैं।हनुमान जी को विभिन्न नामों से जाना जाता है जिनमें मारुति नंदन, बजरंगबली, पवन पुत्र, वीर हनुमान, सुंदर और संकट मोचन,केसरी नंदन,महाबली , महावीर,पवनपुत्र ,फाल्गुनीशाखा,अंजनीसुत,रामेष्ट,बजरंग बली,वायपुत्र,सीताशोकविनाशक, लक्ष्मण प्राणदाता जो अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर करते हैं।दुर्गुकोंदल शिवमंदिर में सुबह से भजन,गीत संगीत से वातावरण भक्तिमय हो गया था।भक्त विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा-अर्चना किये साथ ही हनुमान चालिसा, संकट मोचन हनुमानाष्टक, और हनुमान बाहुक,सुंदरकांड का गायन जैसी स्तुतियाँ पढ़कर भगवान हनुमान की स्तुति किये।यथाशक्ति भक्त व्रत रखते हैं और दिनभर उपवास किये।
वह आज भी सभी के संकटों का निवारण करते हैं।हनुमान जी को विभिन्न नामों से जाना जाता है जिनमें मारुति नंदन, बजरंगबली, पवन पुत्र, वीर हनुमान, सुंदर और संकट मोचन,केसरी नंदन,महाबली , महावीर,पवनपुत्र ,फाल्गुनीशाखा,अंजनीसुत,रामेष्ट,बजरंग बली,वायपुत्र,सीताशोकविनाशक, लक्ष्मण प्राणदाता जो अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर करते हैं।दुर्गुकोंदल शिवमंदिर में सुबह से भजन,गीत संगीत से वातावरण भक्तिमय हो गया था।भक्त विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा-अर्चना किये साथ ही हनुमान चालिसा, संकट मोचन हनुमानाष्टक, और हनुमान बाहुक,सुंदरकांड का गायन जैसी स्तुतियाँ पढ़कर भगवान हनुमान की स्तुति किये।यथाशक्ति भक्त व्रत रखते हैं और दिनभर उपवास किये।
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