पवन बघेल तिल्दा नेवरा- रमजान का पाक, रहमतों और बरकतों वाला महीना चल रहा है। ऐसे में रमजान में रोजा रखने, नमाज ,इबादत को लेकर हर कोई उत्साहित है । बड़े लोगों के साथ-साथ छोटे बच्चे भी शिद्दत से रमजान के रोजे रखना के साथ इबादत में दिन गुजर रहे हैं। कहा भी जाता है की रमजान शरीफ का महीना रसूल ( पैगंबर) के आज्ञा पालन के अलावा कर्तव्य, धैर्य और संकट से मुकाबिल होने की अभ्यास का महीना है।
मुकद्दस महीना रमजान में एक नेकी के बदले 70 नेकियों का सवाब मिलता है । रहमतों और बरकतों के इस महीने में रोजेदार न सिर्फ खुदा के लिए अपनी शिद्दत बल्कि इंसानियत के लिए अपनी चाहत भी परखते हैं।
सुबह सूर्योदय के साथ शुरू होने वाला रोजा शाम सूर्यास्त पर समाप्त होता है और ऐसे में 7 वर्षीय जन्नत फातिमा, अलिजा फातिमा ने पहला रोजा रखा ।बच्चों का उम्र भले ही छोटा हो पर इनके जज्बे बहुत बड़े हैं। इफ्तार के समय बच्चों ने मुल्क में अमन , चैन की दुआ की।
जन्नत फातिमा से पूछने पर बताया कि घर के सभी लोगों को रोजा रखते, नमाज, इबादत करते देखती तो मुझे भी रोजा रख कर इबादत करने का मन हुआ । घर वालों के छोटे उम्र ,गर्मी में प्यास की दुहाई देते मना करने पर भी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ रोजा रखा। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों के दृढ़ इच्छा के आगे कुछ नहीं कर पाते और बच्चों ने बड़े खुशी-खुशी रोजा रख इबादत की किया।
रमजान (रहमतों का) महीना में सभी घरों में विशेष तैयारी भी की जाती है सुबह शहरी से लेकर शाम इफ्तार तक फिर रात तरावीह (विशेष नमाज) मस्जिद में अदा की जाती है ।इन सबके लिए मस्जिदों में विशेष साज सज्जा के साथ विशेष तैयारी भी की गई है।
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