संतोष मरकाम कोंडागांव - उमरगांव (अ) में एक कदम, गांव की ओर ग्राम सभा सशक्तिकरण की ओर की थीम को लेकर मुड़ाक्षेत्र बुनागांव, तह व जिला कोण्डागांव में दिनांक - 25 फरवरी 2024 को एक दिवसीय जिला स्तरीय ग्राम सभाओं के सशक्तिकरण हेतु वन अधिकार मान्यता कानून 2006, और पेसा कानून 1996 को विस्तृत रूप में चर्चा परिचर्चा किया गया जिसमें कोण्डागांव जिला के सातों तहसील के वन अधिकार समिति, सामुदायिक वन संसाधन प्रबन्धन समिति (सीएफआरएमसी), जैव विविधता समिति (बीएमसी), संयुक्त वन प्रबन्धन समिति ( जेएफएमसी), ग्राम सभा अध्यक्ष, संसाधन योजना प्रबन्धन समिति, शांति और न्याय समिति, ग्राम पंचायत अध्यक्ष (सरपंच), ग्राम पंचायत सदस्य (पंचगण), जिला पंचायत सदस्य, जनपद पंचायत सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता, समाज प्रमुख, वन, राजस्व, पंचायत विभाग के कर्मचारी, अधिकारी , गायंता, पटेल, पेरमा, वड्डे, गांव प्रमुख, संस्था प्रतिनिधि और कोंडागांव जिला के अलावा कांकेर, धमतरी, नारायणपुर और बस्तर जिला के लोग भी इस कार्यक्रम में बड़ चढ़ कर भाग लिया और आपने ग्राम सभा के हक अधिकारों से परिचित हुए।
इस परिचर्चा के दौरान प्रशिक्षक आदरणीय अश्वनी कांगे जी पूर्व राज्यपाल छत्तीसगढ़ सरकार के विधिक सलाहकार और केबीएसएस के संस्थापक ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि "जब तक आप अपने लिए अपने लिए निर्णय नही लेंगे तब तक आपके लिए दुसरे ही निर्णय लेते रहेगें।"
तत्पश्चात समापन पर आयोजक - सर्व आदिवासी समाज मुड़ाक्षेत्र, बुनागांव के अध्यक्ष तिरु शैजू नेताम ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि ग्राम सभाओं को सशक्त करने के लिए ग्राम सभाओं के हक अधिकारों को जानने समझने के लिए प्रत्येक मुड़ाक्षेत्र, विकासखंड, जिला स्तर में समाज अपने संसाधनों के साथ ऐसे कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए और ग्राम सभाओं को सशक्त करना चाहिए ताकि ग्राम सभाएं अपने जल, जंगल और जमीन को कानून सरंक्षण, सुरक्षा, पुर्नजीवित और प्रबन्धन कर सके।
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