दिनेश साहू चारामा :- कांग्रेस ने अपने पिछली घोषणा पत्र में किये वादे को पूरा किये जाने प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों की बार-बार गुहार लगाये जाने के बावजूद सिर्फ और सिर्फ वादों में भरमाकर रखी गई लेकिन अंतिम समय तक सभी मांगों को अनदेखा कर उपेक्षा का ऐसा दंश दिया कि इन्होंने अपने मतों से सहयोग नहीं देने की ठान ली। नतीजा हुआ कि कांग्रेस की सत्ता चली गई।
तात्कालीन सत्ता के नशे में चूर भूपेश बघेल की सरकार द्वारा 5000 हड़ताली कर्मचारियों को बर्खास्त और निलंबित कर दमनात्मक कार्यवाही की गई, किये गए वादे पूरे नही किये, साथ ही षडयंत्र पूर्वक हड़ताल स्थल में अपने प्रतिनिधि भेज कर जायज मांगों को पूरा करने का वादा किया जाकर हड़ताल तुड़वाया गया।
फिर निलंबित ,बर्खास्त स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली रोकी गई, हड़ताल अवधि का वेतन रोका गया। जिससे स्वास्थ्य कर्मचारियों (कोरोना योद्धाओं )में भारी रोष व्याप्त था। जिसकी परिणति छत्तीसगढ़ की कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोकर भुगतना पड़ा। छत्तीसगढ़ प्रदेश नर्सेस एसोसिएशन की प्रांताध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों को नवीन भाजपा सरकार से बहुत उम्मीदें है कि सत्ता में आने के बाद इस शासन काल में उनकी जायज मांगें जरूर पूरी होंगी।
जिस तरह कर्मचारियों ने भाजपा की सरकार को छत्तीसगढ़ की सत्ता में बिठाया है उसी तरह ये सरकार भी कर्मचारियों का भरोसा पूर्व वर्ती सरकार की तरह नहीं तोड़ेंगी और भरोसे की सरकार साबित होंगी ऐसा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ फेडरेशन मानता है।
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