रोहित वर्मा खरोरा :-- शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला छड़िया,संकुल केंद्र पचरी, विकासखंड तिल्दा नेवरा, जिला रायपुर में सुरक्षित शनिवार के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें आज का थीम "अंधविश्वास के प्रति जागरूकता के संबंध में जानकारी" जानकारियां साझा की गई। छात्रा भारती, दिया वर्मा, हिना, लिली, तान्या, हिमेश महिलांग, शुभम कोसले, चेतना, राशि, साजिका, शिवम, गजेंद्र, गौतम, लकी, रात्रि आदि ने बताया कि अन्धविश्वास बहुत ही बुरी चीज होती है क्योंकि इसकी जड़ें अज्ञानता में फैली होती हैं। यह हमारे भय, निराशा, असहायता व ज्ञान की कमी को दर्शाता है। यह बहुत ही दुखद है की बहुत से पढ़े-लिखे लोग भी अंधविश्वासों में जकड़े होते हैं। इस ज्ञान और विज्ञान के युग में यह हमारी बौद्धिक निर्धनता को दिखाता है। यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण है की जब इंसान किसी बात को समझ नहीं पाता है तो वह उस चीज के लिए अंधविश्वासी हो जाता है। हम इन्हें दैवीय कारण समझकर डरने लगते हैं।प्रधान पाठक एस के देवांगन ने कहा बहुत से अंधविश्वास बहुत ही हास्यास्पद बन जाते हैं, जैसे कि 13 नंबर को अशुभ माना जाता है या कोई छींक दे तो यात्रा के लिए मत जाओ। इसी प्रकार बिल्ली के रास्ता काटने से माना जाता है की कुछ बुरा होने वाला है। उल्लू की आवाज़ या भेड़िये की आवाज़ सुनकर अनहोनी की आशंका करना, यह सब अंधविश्वास के कारण हैं।
शिक्षक धीरेंद्र वर्मा ने बताया किअंधविश्वास किसी विशेष समाज या देश से नहीं जुड़े हैं बल्कि यह हर जगह पाए जाते हैं। अंधविश्वास में आस्था रखने वालों में अधिकतर गरीब, अनपढ़ व निचले तबके के लोग हैं। हम वैज्ञानिक सोच का प्रचार-प्रसार करके अंधविश्वासों में कमी ला सकते हैं। कारण व तथ्यों की मदद से सभी अनसुलझे रहस्यों को सुलझाया जा सकता है और अंधविश्वास की जड़ों पर प्रहार किया जा सकता है। सरपंच आशीष वर्मा तथा शाला प्रबंधन विकास समिति के अध्यक्ष हेमलाल बर्मन ने संयुक्त रूप से कहा कि अंधविश्वास हमें एक ही समय में हंसाने और रुलाने, दोनों का ही कार्य करता है। इसका सुधार सिर्फ लोगों में शिक्षा और ज्ञान के प्रचार द्वारा किया जा सकता है।
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