दिनेश साहू की रिपोर्ट चारामा- वैसे तो छठ पूजा का पुरा इतिहास बिहार राज्य से जुड़ा हुआ है जिसे मुख्य रूप से वहीं पर मनाया जाता है किंतु अब बिहार के लोग देश के हर राज्य में निवास करने लगे हैं इसलिए बिहार मूल की सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु एवं संतान के बेहतर स्वास्थ्य व उनके उज्जवल भविष्य के लिए हर स्थान पर छठी माता का व्रत रखकर पूजा पाठ करती हुई नजर आ रही है कुछ प्रचलित कथाओं के अनुसार मान्यता है कि छठ पूजा की शुरुआत बिहार के मुंगेर से हुई थी और इसे सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी वे भगवान सूर्य के पुत्र के साथ साथ उनके परम भक्त भी थे और भगवान सूर्य की बहन को ही छठी मईया कहा गया है जिनकी छठ पर्व पर पूजा की जाती है हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्व दीपावली के छह दिनों पश्चात कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन से प्रारंभ होने के बाद यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है छठ पूजा पर व्रत रखने वालों को बिस्तर पर शयन करना पूरी तरह से वर्जित माना गया है इसलिए चार दिनों तक उन्हें जमीन पर चटाई बिछाकर शयन करना पड़ता है पूजा के समय व्रती को बहुत ज्यादा आत्म संयम रखकर इन चार दिनों तक स्वयं को नकारात्मक सोंच से पृथक रहना होता है छठ पूजा पर चारामा की महिलाएं भी बड़े ही धूमधाम से नदी,तालाब व पोखरों में भगवान सूर्य व षष्ठी मईया को जल का अर्ध्य चढ़ाकर विधिवत पुजा अर्चना करते हुए अपने पति की दीर्घायु व संतान के सुख समृद्धि की कामना करती हुई दिखाई दे रही है ।
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