मनीराम सिन्हा ब्यूरो चीफ कांकेर- कांकेर विधानसभा का अगला विधायक कौन होगा किसके सिर होगा ताज. करना होगा 3 दिसम्बर का इंतजार.अकसर लोग पार्टियों के लुभावने घोषणा पत्र का बेसब्री से इंतजार करते हैं। कौन सी पार्टी जनता को कितनी लुभा रही है। दोनो ही प्रमुख पार्टियों की घोषणापत्र का असर कितना अहम है क्या किसानों की कर्जमाफी का असर विधानसभा चुनाव में पड़ेगा यह तो आने वाला 3 दिसम्बर ही बताएगा. चुनाव सम्पन्न होने के बाद प्रत्याशियों से लेकर कार्यकर्ताओं की धड़कनें तेज हो गई है।
दोनों प्रमुख पार्टियां अपने अपने जीत को आश्वस्त है। चौक चौराहों से लेकर इन दिनों चाय की चुस्की के साथ जीत-हार को लेकर खूब गपशप हो रही है। शहर हो या गांव की गलियां हो या मेन बाजार में स्थित चाय की दुकान। आलम यह है कि सुबह से लेकर देर शाम तक चाय की दुकानों पर खूब भीड़ उमड़ रही है। कौन-सी पार्टी जीत रही है, किस पार्टी की सरकार बनेगी। इन दावों को लेकर माहौल पूरी तरह सर्दी के मौसम में गर्म हो गया है। हालांकि चुनावों के परिणाम को लेकर मात्र 9 से 10 दिन शेष रह गए हैं, लेकिन जैसे -जैसे परिणाम का दिन नजदीक आ रहा है कि वैसे-वैसे चाय की चुस्कियों में बाजार में चर्चाओं में तेजी आना शुरू हो गई है। इतना ही नहीं आते-जाते लोग एक-दूसरे से एक ही बात पूछ रहे हैं कि क्या लगता है कि इस बार कौन बाजी मरेगा। लोग संभावित चुनाव परिणाम पर चाय की दुकानों और पान ठेलों पर राजनीतिक चर्चा में अधिक रुचि ले रहे हैं। चाय की दुकान पर कांग्रेस और भाजपा के समर्थक चाय की चुस्की लेते हुए इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। राजनीतिक चर्चा में मित्रगण चुनावों को लेकर एक-दूसरे के समक्ष अपने-अपने विचार रखकर ठहाके लगा रहे हैं। हालांकि मतदान के परिणाम को लेकर मात्र 9 से 10 दिन शेष हैं, जिसके चलते प्रतिष्ठित चाय दुकान, पान ठेले सहित अन्य स्थानों पर लोगों को संभावित चुनाव परिणाम पर चर्चा करते देखा जा सकता है। यह चर्चा तीन दिसंबर को चुनाव परिणाम घोषित होने तक जारी रहेगी। इस बार कांकेर विधानसभा में कुल 76 प्रतिशत मतदान हुआ । चाय की दुकानों पर हर चुस्की के साथ हर बात निराली निकल रही है। चाय की दुकानों पर बैठे युवा जहां बेरोजगारी की बात को लेकर वार्ता कर रहे हैं तो कोई महंगाई को लेकर परेशान है।
Tags
राजनीतिक