सरायपाली के तोषगाव में सतपथी परिवार की 79 वी गांधी पदयात्रा का समापन पथर्रला में......... छत्तीसगढ़ समाचार TV

सुनील महापात्र सरायपाली/बसना-- सन 1942 से ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ तिरंगा झंडा लेकर आजादी का शंखनाद करने वाले आंचलिक पद यात्रा के प्रणेता पं जयदेव सतपथी एवम पं लक्मण सतपथी द्वारा संचालित 79 वी वार्षिक गांधी सप्ताह पदयात्रा का समापन ग्रामोदय उ मां विद्यालय पथरर्ल में 2 अकटुबर को भब्य सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ सम्पन्न हुआ,

1942 से आज 2022 पर्यन्त तक अनवरत जन जागरण अभियान गांधी पदयात्रा ग्राम तोषगाव के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पण्डित जयदेव सतपथी द्वारा प्रारम्भ की गई थी जो आज पर्यन्त तक जारी है,पंडित जयदेव सतपथी का जन्म 29 मार्च 1917 को ग्राम तोषगाव में हुआ था,1936 में स्वतन्त्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण इनको जेल जाना पड़ा था,एवम भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण पुनः जेल गये,
1940 में गांधीजी से सेवाग्राम महाराष्ट्र में मुलाकात कर अस्पर्सयौद्धार दलितोउत्थान के कार्य मे लग गए एवम बसना में सत्याग्रह शुरू किया,1941 में पुनः रायपुर व नागपुर जेल में सश्रम कारावास हुआ, 2 अकटुबर 1942 से आपने गांधी पदयात्रा कर जन जनसमस्या से अवगत होते हुए जन जागृति कर स्वच्छता सहयोग की शुरुआत की जो आज तक अनवरत जारी है,उक्त पदयात्रा 40-50 गांव के यात्रा में असपृश्यता,जुआ उन्मूलन,शिक्षा पर नृत्य गीत शास्त्रार्थ,के द्वारा लोगो को जागरूक करते चौपाल यात्रा में छुआछूत पर ब्याप्त कुरूतियो पर अभियान एवम सँकीर्तन मण्डली के माध्यम से पेड़ कटाई को रोकने जनजागरण कर वृक्षयारोपन करवाते थे,अंचल ले लोग उनको फुलझरिया बापू के नाम से पुकारते थे,साहित्य के क्षेत्र में आपने उत्थान पत्रिका का सम्पादन किया,अंग्रेजी,हिंदी उड़िया संस्कृत के आप प्रकांड विद्वान थे,आप स्वालम्बी कुशल वक्ता और शिक्षा के अग्रदूत थे,आपके प्रयास से 1951 में सराईपाली के माध्यमिक विद्यालय की नींव रखी गई,1961 में ग्राम तोषगाव में हाई स्कूल की स्थापना की गई, एवम आस पास अंचल में लगभग 10 विद्यालय की नींव रखी जो आज तक अनवरत जारी है,आपकी भूमिका को याद करते हुए बसना के शासकीय महाविद्यालय का नामकरण पंडित जयदेव सतपथी स्मृति महाविद्यालय बसना किया गया,
बहुमुखी प्रतिभा के धनी सत्य अहिंसा सहिष्णुता परोपकार सेवा परायणता नम्रता के सन्देश वाहक दिनाक 28 जनवरी 1985 को स्वर्गगामी बने,
आपके बेंकुठ धाम वासी होने पश्चात इस पदयात्रा की कमान उनके ज्येष्ठ पुत्र पण्डित लक्मण जयदेव सतपथी ने संभाली,पण्डित लक्मण सतपथी प्रखर सत्य वक्ता थे,उनके पश्चात यह पदयात्रा अब पण्डित जयदेव सतपथी की कनिष्ठ पुत्र युवा समाजसेवी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी उतर्राधिकारी पंडित विद्याभूषण सतपथी अपने सहयोगियों के साथ कर रहे है,इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य गांधी जी के ग्राम सुराज एवम पंचायत राज के महत्व तथा जन सामान्य को कर्तब्य एवम दायित्वो से अवगत कराना एवम स्वच्छता एवम जन जागरण अभियान है एवम पूर्ण रूपेण गैर राजनीतिक जन जागरण अभियान है,
26 सितम्बर को ग्राम तोषगाव में गांधी जुलूस,प्रभात फेरी निकाला गया,27 सितम्बर को नरसिंगनाथ में स्वच्छता अभियान चलाया गया,28 सितम्बर को जगदीशपुर में गांधीवाद पर चर्चा की गई,29 सितम्बर को जय नगर में वृक्षारोपण किया गया,30 सितम्बर को पझरापाली में मतदान जागरूकता अभियान किया गया,1 अकटुबर को ग्राम नानक सागर रानी सागर में स्वच्छता एवं समानता पर जन जागरण अभियान किया गया,
2 अकटुबर को ग्राम पथरला में दोपहर 2 बजे 1942 से अनवरत जारी 79 वी गांधी पदयात्रा का समापन व पं जयदेव सतपथी के मूर्ति का नव कलेवर का स्थापना कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी,कर्मवीर लाल बहादुर शास्त्री एवम फुलझरिया बापू पं जयदेव सतपथी एवम आदरणीय पं लक्मण सतपथी को याद कर 79 वी पदयात्रा का समापन किया गया,
कार्यक्रम में पधारे महासमुंद लोकसभा के लोकप्रिय सांसद श्री चुन्नीलाल साहू जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि कहा कि पण्डित जयदेव सतपथी को फुलझरिया बापू गांधी क्यों कहते हैं,क्योंकि उन्होंने कपड़े से लेकर विचार, शिक्षा, चिकित्सा, गौपालन, मद्य निषेध, स्वदेशी, पंचायती व्यवस्था, रामराज्य,स्वभाषा, कुटीर उद्योग, गीता,रामधुन, न्यासिता,शाकाहार,अपरिग्रह,अहिंसा और सत्य जैसे मूल्यों का स्रोत भारत की प्राचीन परम्परा का प्रचार किया,पंडित जयदेव सतपथी जी फुलझर अंचल के लिए समर्पित रहे फुलझर अंचल में शिक्षा कैसे हो फुलझर अंचल में संस्कृत कैसे सुरक्षित रहे ऐसे ही कार्य कर उन्होंने पूरा जीवन व्यतीत कर दिया 1942 से लगातार गांधी विचार को फुल झर के गांव गांव में प्रचार प्रसार के लिए हुए निरंतर पदयात्रा करते रहे,
हमारा आंचल 1936 के पहले संबलपुर उड़ीसा में जुड़ा हुआ था उसको रायपुर जिला में जोड़ने के लिए पंडित सतपथी ने अथक प्रयास किया इस अंचल को राजनीतिक सामाजिक राष्ट्रवादी विचारधारा में जोड़ने का काम यदि कोई किया है तो वह पंडित जयदेव सतपथी जी हैं इस क्षेत्र का शैक्षणिक आर्थिक एवं सामाजिक विकास करने के लिए पंडित जयदेव सतपथी के द्वारा निरंतर चलाए गए पदयात्रा को आज पर्यंत तक जारी रखने के लिए उनके परिवार जनों का मैं आभार प्रकट करता हूं यह सतपथी परिवार निरंतर गांधी विचारों को लेकर पदयात्रा कर लोगों को जन जागरण कर रहे हैं जो की निस्वार्थ भाव से निरंतर कर रहे हैं यह निश्चित ही हम सबके लिए प्रेरणा का केंद्र है, पंडित जयदेव सतपथी जी के देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही हम उनको नमन करते हैं एवं गांधी विचार को लेकर जिस प्रकार गांधी जी ने स्वच्छता अभियान चलाया था उसी प्रकार पंडित जयदेव सतपथी और उनके परिवार जनों द्वारा पदयात्रा के माध्यम से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, कार्यक्रम के अंत में मंच से भूतपूर्व सैनिकों का सम्मान करते हुए सांसद महोदय ने कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम इसी तरह पूर्व सैनिकों का सम्मान आगे भी करेंगे श्री मायाराम पटेल जी श्री धर्मेंद्र चौधरी जी श्री विजय प्रधान जी श्री लोकनाथ डार्सेना जी एवं श्री निरंजन भाई जी पूर्व सैनिकों का सम्मान कर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की गई,
साथ ही साथ मंच पर पथर्ला क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य श्री प्रेमलाल नायक जी एवं ग्राम पथर्रला के सरपंच श्रीमती सौदामिनी प्रधान जी एवं सरपंच प्रतिनिधि संजय प्रधान जी की उपस्थित थे,
उक्त गांधी पदयात्रा के प्रमुख पदयात्रि श्री विद्याभूषण सतापथी जी जिनके दिशा निर्देश नेतृत्व में यह पदयात्रा सात दिवस तक सुचारू रूप से संचालित हुआ उनके साथ में उनके सहयोगी पदयात्रा के रूप में श्री सुवर्धन प्रधान जी ग्राम रानी सागर डॉ रमेश भोई जी गढ़फुलझर श्री जितेन सतपति जी तोसगांव श्री प्रदीप सतपति जी सरायपाली श्री राहस बिहारी विशाल जी तोसगांव श्री मनमोहन दास वैष्णव जी भालूकोना श्री सोकी लाल मनहरा जी तोषगाव नगर पालिका सरायपाली के एल्डरमैन श्री गोपाल अग्रवाल जी एवं शुरू पाणिग्रही जी साथ में श्री कमल अग्रवाल एवं सुशांत राणा भी उपस्थित थे ब्राह्मण समाज के जिला अध्यक्ष श्री नित्यानंद मिश्रा जी, अयोध्या प्रसाद मिश्रा जी श्री वृंदावन सरस्वती, आनंद दास जी जगदीशपुर से लोरिस जी,श्री जसवीर सिंह जटाल जी गड़फुलझर, एवं फुलझर सेवा समिति के समस्त पदाधिकारी गण एवं पूर्व प्राचार्य एवं कर्मचारी गण एवं ग्राम पथर्रला के सभी कर्मचारी गण एवं शाला विकास समिति के सभी सदस्य गण भी उपस्थित थे।

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