संतोष मरकाम ब्यूरो चीफ बस्तर संभाग- स्वतंत्रता सेनानी के पैतृक निवास सुरूंगदोह में प्रतिवर्ष की भांति उनके कार्य व बलिदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए क्षेत्र के लोगों ने पूजा-अर्चना व झंडारोहण कर श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर उपस्थित जन आंदोलन के दौरान गांधी जी से मिले चरखा युक्त तिरंगा झंडा का पूजा-अर्चना कर खंडी नदी और भुरके नदी के संगम स्थल के समीप स्थित सेनानी इंदरु केंवट के समाधि स्थल जाकर सादर नमन् किया, तत्पश्चात् गांव के बीच स्थित झंडा स्थल जहाँ भारत के आजाद होने के बाद पहली बार तिरंगा झंडा फहराया गया था उसी खंबे में झंडारोहण किया गया।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मृति समिति के जिला संयोजक ललित नरेटी ने बताया कि इंदरु केंवट महात्मा गांधी से प्रभावित होकर आंदोलन में कूद गये तथा क्षेत्र के लोगों को संगठित करते हुए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किये, इंदरु केंवट के साथ प्रमुख रुप से सुखदेव पातर हल्बा, कंगलू कुम्हार, सहंगू गोंड, गुलाब हल्बा, दारसू गोंड, ढ़ोगिया पूड़ो, चैनू कोवाची थे। ये सभी लोगों में चेतना जागृत करने हाट-बाजारों में रैली निकालते व सभा करते थे। महात्मा गांधी का आगमन जब धमतरी और दुर्ग में हुआ तो ये सेनानी गांधी से मिलने पैदल ही धमतरी और दुर्ग गये थे।
ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने व जनता को भड़काने का आरोप लगाकर इंदरु केंवट, सुखदेव पातर व कंगलू कुम्हार के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज कर मुकदमा चलाया गया।
इंदरु केंवट की बहू गौरी केंवट ने भी सेनानी के बारे में कहा कि मेरे ससुर काफी साहसी व कुशल तैराक थे वे डरते नहीं थे, लगातार अंग्रेजों के खिलाफ कार्य करते रहे। अनेक बार उनको अंग्रेज पकड़ने आये किन्तु उनको पकड़ नहीं पाते थे।
सेनानी के स्मृति में आयोजित इस सादे समारोह में मुख्य रुप से गायता गजेश जाड़े, सेनानी के पौत्र भागीरथी निषाद, संतुराम निषाद, निषाद समाज प्रमुख अकत राम निषाद, दुकालू राम राणा, सोनाराम निषाद, नंदूराम राणा, लच्छू राम, बिदूराम निषाद, धर्मेंद्र निषाद, टिकेश निषाद, मनोज निषाद, धरमी निषाद, विशाल निषाद, समरथ निषाद, दया राम निषाद, बृजलाल निषाद, प्रभु राम निषाद, नागेश कुमार सहित क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।
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