चारामा में सट्टा खाइवालों को किसका संरक्षण, पुलिस इन पर क्यों नहीं करती कार्यवाही?.......पढ़े पूरी खबर छत्तीसगढ़ समाचार TV पर

दिनेश साहू की रिपोर्ट चारामा- सट्टा और सत्ता का बहुत गहरा संबंध होता है ,सट्टा का कारोबार करने वाले जो लोग सत्ता के साथ होते हैं उन्हें पुलिस प्रशासन का पुरा संरक्षण मिलता है वहीं सट्टा कारोबारी जो लोग सत्ता के खिलाफ होते हैं उनके खिलाफ पुलिस छूटपुट कार्यवाही करती है।
सटोरियों का अधिकतर राजनीतक पार्टियों के नेताओं से संबंध होता है ऐसी आम चर्चा होती रहती है, ऐसा माना जाता है कि नेताओं का भारी भरकम खर्च ज्यादातर अपराध की दुनियाँ के लोग ही उठाते हैं । चारामा नगर में आज से लगभग 20-25 वर्ष पूर्व भी सट्टा बाजार पूरे शबाब के साथ गुलजार हुआ करता था लेकिन उस समय के प्रशिक्षु आई पी एस अफसरों ने नेशनल हाईवे में कई बार सटौरियों की रैलियाँ निकलवाकर हम आज के बाद सट्टा नहीं लिखेंगे कहते हुए नारे लगवा चुके है जिसके बाद से लम्बे समय से शहर में सटोरियों की रैली नहीं निकली है जिसके कारण सटोरियों के मन से पुलिस प्रशासन का भय पूरी तरह से निकल चुका है पुलिस प्रशासन के द्वारा एक बार फिर से सटोरियों के खिलाफ कार्यवाही करने के साथ साथ शहर में इस तरह की रैली का आयोजन करवाना जरूरी हो गया है । जिसके बाद ही सट्टा कारोबार के अनैतिक कार्य व समाजिक बुराई पर कुछ हद तक रोक लगाई जा सकती है ।लेकिन अब पुलिस प्रशासन के भी हाथ पूरी तरह से बंधे हुए हैं क्योकिं अब सटोरिये भी क्षेत्र के सफेदपोश नेताओं के साथ काफी नजदीकी संबंध बनाए हुए है शायद कुछ स्थानीय नेताओं के महिने भर के खर्चे की जिम्मेदारी इन्हीं सटोरियों के सिर पर है इसलिए भी अब सटोरियों के खिलाफ पहले के जैसे कड़ी पुलिसिया कार्यवाही किया जाना संभव नहीं है । चारामा का क्षेत्रफल भले ही छोटा है लेकिन विकास खंड मुख्यालय होने के कारण लगभग 100 गांवों से सम्पर्क जुड़ा हुआ है । और इन सभी गांवों तक सट्टेबाजों के कारोबार फैले हुए हैं । नगर में 4-5 मुख्य सट्टा खाईवाल हैं जो केवल पुलिस की कार्यवाही से अबतक बचे हुए हैं । लेकिन इन सट्टा खाइवालों के नाम क्षेत्र में पूरी तरह से जगजाहिर है । जो आए दिन पुलिस को चिढ़ाते बेखौफ़ नगर में घूम घूम कर धड़ल्ले से अपना कारोबार चला रहे हैं ।वर्षों से बेधड़क बिना डर भय के शासन प्रशासन से सांठगांठ करके ये खाईवाल अब पूरी तरीके से इस खेल को किस तरह से चलाना है अभ्यस्त हो चुके हैं । शासन प्रशासन से इनकी मिलीभगत तो तगड़ी है फिर भी लोगों को इन असमाजिक तत्वों से समाज को बचाने के लिए पुलिस प्रशासन से कार्यवाही की आस बंधी हुई है ।

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