विश्वप्रकाश कुर्रे मस्तूरी – मस्तूरी-ब्लॉक के आसपास के क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग का कारोबार बेखौफ हो रहा है। शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर खेत खलिहान कि आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी बिक्री हो रही है। हालात यह है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोज कहीं ना कहीं कालोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। धड़ल्ले से चल रही अवैध प्लाटिंग में राजस्व विभाग के अफसरों की भूमिका सवालों के घेरे में है! इधर जिला प्रशासन से मिले अभय दान के बाद भू-माफियाओं ने नहर को पाट कर उसे भी बेचने तैयारी कर ली है। मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में भू-माफिया पहले किसानों से खेतीहर जमीन खरीद रहे हैं, जिसके बाद उस जमीन में प्लाटिंग की जा रही है। फिर चाहें बाईपास हो या ब्लॉक मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर जोंधरा रोड,जयरामनगर रोड,शिवरीनारायण रोड, पर बड़े पैमाने पर प्लाट काटे जा रहे हैं।
जिसका नतीजा यह निकल रहा है की मस्तूरी दर्रीघाट मेन रोड नेशनल हाइवे क्र.49 में अक्षय एग्रो राइस मिल के पास आधा दर्जन से अधिक अवैध रूप से प्लाट काट काट कर बेचा जा रहा है। इसके बगल से निस्तारी के लिए बनाए गए 40 फिट का नाला को भी कब्जा कर दिया है जिससे नाला अब 5 फिट में सिमट कर रह गया है। जिसके कारण बरसात का पानी खेतो में ही जाम हो गया है। जिसके कारण किसान के खेत में लगे धान सड़ने के कगार पर पहुंच गया है। वही मेन रोड में संचालित अक्षय एग्रो राइस मिल में 3 फिट पानी घुस गया है जिससे राइस मिल में रखा लाखो का धान,चावल,भूसा एवं प्रांगण में रखे मशीनरी सामान खराब हो गया है। बताया जा रहा है कि नियमानुसार कालोनाइजर एक्ट के तहत सभी औपचारिकता पूरा करने के बाद जमीन की खरीदी बिक्री होनी चाहिए, लेकिन बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी विकसित हो रहे हैं बल्कि खेत-खलिहान का आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है। ऐसे में जिला प्रशासन की कुंभ करणी नींद कब खुलती है यह देखने वाली बात होगी!
नही हो पा रहा सुनियोजित विकास, बिगड़ रहा गांव का नक्शा
अवैध निर्माण की वजह से मस्तूरी से लगे क्षेत्रों का सुनियोजित विकास नहीं हो पा रहा है तो वही गांव का नक्शा भी बिगड़ रहा है, तो साथ ही लोग भी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। अवैध तरीके से कालोनी बसाने वाले भू-माफियाओं ने अपनी सारी हदें पार कर दी हैं। नियमों को ताक में रख खुलेआम लोगों के साथ ठगी कर उनकी आंखों में धूल झोंकने में लगे हैं। सारी सुविधाएं मुहैया कराने का झांसा देकर भोले-भाले लोगों को फांसने वाले इन जमीन दलालो को खुली छूट व प्रशासन की चुप्प्पी अनेक सवाल खड़ा कर रही है।