मन्नू साहू / विवेक साहू नरहरपुर-विकासखंड के अंतर्गत ग्राम चिहारीपारा मे नवाखाई व ठाकुर जोहारनी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। गांव के पुजारी व समाज प्रमुखों की उपस्थिति में बूढ़ादेव को साजा के पत्तों में नए चावल का अर्पण कर गांव की खुशहाली की कामना की।
सभी ने कोरिया पत्ता में नए चावल के बने खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। दूसरे दिन ठाकुर जोहारनी कार्यक्रम आयोजित किया गया। जहां ग्राम चिहारीपारा में ग्राम के गायता के घर में समाज के लोग एकत्रित होकर बूढ़ादेव की विनती की और गांव के बड़ों का आशीर्वाद लिया। कोरिया पत्ते में एक साथ नये चावल को प्रसाद रूप में ग्रहण किया।
समाज के प्रमुखों ने बताया कि यह पर्व मूलतः बस्तर के गा़ेड समाज का संस्कृति है। बस्तर की संस्कृति में किसी भी फसल को तब तक नहीं खाया जाता जब तक उस फसल के कुछ अंश को देव को अर्पण न किया जाय । ग्राम देव, भूमियार देव, प्रकृति देव को उनके दिये गये अन्न के बदले में कृतज्ञता ज्ञापित करना, नए फसल के आगमन की खुशियों को बांटना ही नुआखानी का पर्व है, जो दो दिनों तक चलता है। जिसमें दूसरे दिन ठाकुर जोहारनी को बासी त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन ठाकुर जोहार किया जाता है। ठाकुर जोहार का तात्पर्य देव तुल्य बुजुर्गो व अपने से बड़ों का आदर सत्कार व भेंट करना होता हैं कार्यक्रम में समाज के लोगों ने पारंपारिक गीतों के साथ रेला नृत्य कर कार्यक्रम का समापन किया। ग्राम चिहारीपारा में इस आयोजन में गांयता राजाराम नेताम, फुलचंद नाग, विष्णु शोरी,उपसु कुजाम,महदेव नेताम,सेवक नेताम,सिताराम नेताम,राधे नेताम,पिले सिंह टेकाम,सुबेसिंग कुजाम, सुरज मंडावी,योगेश कुजाम, भावसिंह मंडावी एवं समस्त ग्रामीण जन उपस्थित थे।
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