दिनेश साहू चारामा- शुक्रवार 29 सितंबर से श्राद्धपक्ष की शुरुवात हो रही है । हिंदू रीति के अनुसार श्राद्ध पक्ष में सभी लोग अपने स्वर्गवासी परिजनों को पितरों के रुप में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते है । पितृपक्ष में पुरे 15 दिनों तक पितरों का पूजन व तर्पण किया जाता है इस अवधि में उन्हें उनके पसंद के अनुसार भोजन भी प्रदान किया जाता है ।
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि पितरों के प्रसन्न नही होने से परिवार पर पितृदोष लग जाता है । जिसके कारण परिवार के लोगों को कई तरह की विपदाओं का सामना करना पड़ता है । इसलिए पितृपक्ष में परिवार के लोग अपने पितरों को प्रसन्न करने में किसी भी प्रकार की कमी नहीं करते । पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दान भी करने का नियम है जिससे परिवार को सुख शान्ति व समृद्धि मिल सके । मान्यता है कि पितृपक्ष में दान करने से दोगुना फल की प्राप्ति होती है इसलिए इस पक्ष में दान कर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं । ऐसे जातक जिनकी कुंडली में पितृदोष होता है उन्हें बहूत सी समस्याओं से गुजरना पड़ता है । पितृ पक्ष में चांवल,सरसों का तेल,काले तिल,कुश व जौँ जैसी वस्तुओं का दान किया जाता है । जौँ को धरती का प्रथम अनाज माना गया है इसलिए इसके दान को सोने के दान के जैसे माना जाता है । कुश की अंगूठी के बिना पितर जल भी स्वीकार नहीं करते इसलिए श्राद्ध पक्ष में कुश का महत्व कुछ ज्यादा ही होता है । परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हो तो पितृपक्ष में चांवल का दान करना चाहिए इससे परिवार में खुशहाली के साथ साथ आर्थिक समृध्दि होती है ।
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