दिनेश साहू चारामा-- नगर चारामा के जाने- माने युवा कवि लिकेश धृतलहरे का आज जन्मदिन है। आपका जन्म 25 सितम्बर सन् 2002 को ग्राम जैसाकर्रा ( चारामा ) में हुआ था । आपके माताजी का नाम श्रीमती सेवती बाई एवं आपके पिताजी का नाम श्रीमान मोहन राम है। आपका गृहग्राम जैसाकर्रा ( चारामा ) है। आपने अपनी साहित्यिक यात्रा कक्षा 7 वीं से प्रारंभ की । कहा जाता है कि जब आप शा. उ.मा. शाला जैसाकर्रा में कक्षा 7 वीं में पढ़ाई कर रहे थे तो एक दिन आपके स्कूल के संस्कृत विषय की अध्यापिका श्रीमती कावेरी अवस्थी ने खाली परेड के समय में सभी विद्यार्थियों को कविता लिखने को कहा था जिसमें आपने शुरुआत में ही "चिड़िया" पर बहुत सुंदर कविता लिखी थी।समय - समय पर संस्कृत की अध्यापिका श्रीमती कावेरी अवस्थी द्वारा सभी विद्यार्थियों को कविता या कहानी लिखने को कहा जाता था जिसमें प्रत्येक बार आप उत्कृष्ट कविता/कहानी लिखकर सभी को गदगद कर देते थे। तभी से आपकी संस्कृत विषय की अध्यापिका श्रीमती कावेरी अवस्थी ने आपमें एक श्रेष्ठ कवि होने का गुण देख लिया था और आपको साहित्यिक रचना करते रहने की बात कही और आशीर्वाद देते हुए कहा था कि तुम शीघ्र ही साहित्यिक क्षेत्र में प्रसिद्धि प्राप्त करोगे। तभी से आपने पढ़ाई एवं अन्य क्षेत्रों के साथ ही साथ साहित्यिक क्षेत्र में भी ध्यान देना शुरू किया और एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ रचना लिखनी शुरू की। आपने महज 16 वर्ष की आयु में ही कवि सम्मेलन में कविता पाठ करना शुरू कर दिया था। आप चारामा अंचल के चर्चित युवा कवियों में से एक है। मेरे अनमोल विचार सागर , कविता रत्नाकर , मां से बड़ा कौन , क्या लिखूं एवं शक्तिहीन मनोबल आपकी प्रिय एवं प्रसिद्ध रचनाएं हैं। कवि सम्मेलन के माध्यम से शक्तिहीन मनोबल नामक आपकी रचना से आपको बड़ी प्रसिद्धी मिली। आपके द्वारा रचित शक्तिहीन मनोबल नामक प्रसिद्ध कविता चारामा अंचल के कई सरकारी दफ्तरों में भी लगी हुई है।
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