मन्नू साहू /विवेक साहू नरहरपुर- 23 सितंबर शनिवार को नवाखानी का पर्व नगर के अलावा अंचल में भी बड़ी श्रद्धा, उमंग व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। यह पर्व छत्तीसगढ़ के ट्रायबल क्षेत्र का परम्परिक त्यौहार हैं जो सदियों पुराना त्यौहार हैं जो क़ृषि व संस्कृति से जुड़ा हैं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रो के त्योहारों में से सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता हैं, आदिवासी समाजो के द्वारा अपने अपने घरों में नई फसल की चांवल से खीर, चिवड़ा का प्रसाद बनाकर सामाजिक परम्परागत रूप से कोरिया या साजा के पत्ते में प्रसाद रख कर अपने ईस्ट बुढ़ादेव को चढ़ाया गया, आरती की थाली सजाकर नारियल, धुप, दीप, अगरबत्ती, ग़ुलाल आदि से बूढ़ा देव की विधि विधान से पूजा अर्चना किया गया।
वही समाज के समाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक, विकास, सुख समृद्धि हेतु कामना किये तथा सहपरिवार बैठकर साजा व कोरिया के पत्ता में प्रसाद ग्रहण करते भोजन किया। इस नवाखानी त्यौहार में पूजा अर्चना उपरांत घर के महिलाओ द्वारा बड़े बुजुर्गो का पैर धोकर व आरती उतार औऱ तिलक लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया। वही छोटो ने भी बडो से आशीर्वाद लिया तो परिवार के बड़े बुजुर्गो ने अपना प्यार देते हुये एक दूसरे को नवाखानी पर्व की बधाई दी । वही अंचलो में नवाखानी त्यौहार मनाने के बाद शाम के समय अपने दैवीय संस्कृति को बनाये रखते हुये सभी एक जगह एकत्रित होकर हुलकी, रेला गीत व सामाजिक नृत्य किया गया जिससे आदिवासी समाज की धर्म संस्कृति, रीति रिवाज, परम्परा देव संस्कति आदि इस त्यौहार में सम्पादित हुई तथा समाज की प्राचीन परम्परा को देखने को मिला l
👉24 सितंबर रविवार को होंगी ठाकुर जोहरनी-गोंडवाना समाज द्वारा बुढ़ादेव की पूजा अर्चना कर ठाकुर जोहारने के लिए लाई चिवड़ा गुड़ लेकर गाँव के गायता ठाकुर के घर एकठ्ठा होंगे l मान्यता हैं कि धर्मगुरु पहादी पारी कुमार लिंगो के निर्देशानुसार नवाखाई के दूसरे दिन समाज द्वारा ठाकुर जोहरानी पर्व को हर्षल्लास से मनाया जाता हैं जिसमें समाज के लोगो के अलावा गाँव, मुहल्ला के समस्त लोग उपस्थित रहते हैं वही समाज प्रमुखो ने ठाकुर जोहरनी के महत्व को बताते हैं कि आदिवासी समाज के संस्कृति, धर्म, परम्परा को बनाये रखते हुये सभी धर्मो का आदर करने का निवेदन है।
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