संतोष मरकाम ब्यूरो चीफ बस्तर संभाग- संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस केवल भारत देश में ही नहीं विश्व के पूरे देश में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है जो हर वर्ष खुशियों से भरा रहता है। लेकिन इस वर्ष आदिवासियों के दिवस के शुभ अवसर पर कोण्डागांव जिला ब्लॉक बड़े राजपुर मुख्यालय विश्रामपुरी में आदिवासी समाज ने शासन प्रशासन के खिलाफ आक्रोश रैली एवं सभा का किया आयोजन किया।
रैली में तक्ती के माध्यम से नारा लिखकर कई घटनाओं का किया निंदा। कई गांव से हजारो लोग पैदल रैली आए। रैली में भी नहीं दिखे आदिवासियों का रौनक आदिवासियों के ऊपर हुए कई घटनाओं को नारा लगाते हुए दिखे आदिवासी समाज। आदिवासी समाज के शहीदों को किया नमन जयकारे से गुंजे आदिवासी शहीदों के नाम। कई जनप्रतिनिधि नेताओं के मुर्दाबाद के नारा लगाते हुए दिखे आदिवासी समाज। भारत के विभिन्न राज्यों में आदिवासी समुदाय लगातार अनेक समस्याओं से जूझ रहा है ।
देशभर के आदिवासी समुदाय में दहशत और डर का माहौल पैदा किया जा रहा है। कई ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं जो सभी राज्यों के लिए लगभग एक समान है आदिवासी समुदाय को लगने लगा है कि मणिपुर की जातीय हिंसा की आग कहीं अन्य प्रदेशों में तो नहीं फैलने वाली है? UCC जैसे राष्ट्रव्यापी मुद्दे से आदिवासी समुदाय अपने लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं से कहीं दूर तो नहीं हो रहा है? देश में आदिवासियों के साथ शोषण, अत्याचार, मानवीय हिंसा, सामूहिक बलात्कार आदि मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाओं जैसे कई गंभीर मुद्दे सभी राज्यों में गूंज रहे हैं ऐसे गंभीर परिस्थितियों में हम आदिवासी समुदाय 9 अगस्त 2023 विश्व आदिवासी दिवस को देशभर में हर्षोल्लास के साथ कैसे मना सकते हैं? इसलिए देश के लगभग सभी आदिवासी समुदाय के लोग इस दिवस को आक्रोश रैली के रूप में मनाने के लिए मजबूर हो रहे है साथ ही हम अपने संवैधानिक संरक्षिका महामहिम राष्ट्रपति महोदया तक इन गंभीर राष्ट्रीय मुद्दों पर पूरी संवेदनशीलता के साथ ध्यान आकर्षित कर राष्ट्रपति के नाम तहसीलदार बडेराजपुर को ज्ञापन निम्न बिंदुओं पर सौंपा गया :-
👉01. मणिपुर में आदिवासियों के साथ हो रहे हिंसा,अमानवीय कृत्य,महिलाओं के साथ घोर आपत्तिजनक दुर्व्यवहार को रोकने व दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर राज्य में शांति बहाली हेतु कार्रवाई सुनिश्चित किया जावे।
👉02. समान नागरिक संहिता बिल (यू सी सी) को आदिवासी वर्ग से पृथक रखा जावे। चूंकि आदिवासी समुदाय अपने अलग रीति-रिवाज, परम्परा व रुढ़ि से शासित होने वाला समुदाय है इन परम्परागत पद्धतियों के लुप्त व अवरुद्ध होने से हम आदिवासियों के साथ ही पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पढ़ने का डर बना हुआ है अतएव समान नागरिक संहिता से आदिवासी समुदाय को पृथक रखा जावे।
👉03.पर्यावरण एवं वनों की सुरक्षा हेतु वन संरक्षण कानून में संशोधन 2023 को अनुसुचित जनजातीय क्षेत्रों से पृथक रखने या अपवाद व उपांतरण के साथ लागू करने की संवैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित किया जावे।
👉04. PESA कानून के मंशा अनुरूप क्रियान्वयन हर राज्य सरकारे सुनिश्चित करें, और वर्तमान में व्याप्त सभी कानूनों में पेसा कानून के अनुसार बदलाव सुनिश्चित किया जावें|
👉05. पांचवी अनुसूचित क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन के लिए पृथक से कन्फोर्मेटरी एक्ट लाया जावे। स्थानीय समस्याओं के अन्य बिंदुओ को दर्शाते हुए इन सभी मुद्दों को लेकर रैली के माध्यम से ज्ञापन सौंपा। इस आमसभा के माध्यम से आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार, अधिकारों का हनन से लेकर सभी प्रकार के बारे में चर्चा हुआ। इस सभा में सर्व आदिवासी समाज बडेराजपुर के सभी गांव के युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक सभी आदिवासी भाई उपस्थित रहे।
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विश्व आदिवासी दिवस