रिपोर्टर मन्नू साहू /विवेक साहू नरहरपुर - 30 अगस्त बुधवार के अंचल के साथ नगर में भी भाई बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन हर्ष उल्लास और परंपरा पूर्वक मनाया गया। हर वर्ष की तरह सावन पूर्णिमा की तिथि पर बहनों ने रक्षा सूत्र से भाइयों की कलाइयां सजाई ।
रेशम की डोरी के धागे भले ही कच्चे हो लेकिन इसके पीछे का स्नेह अटूट और बेहद मजबूत होता है ।बहन-भाई के प्यार का प्रतिक इस त्योहार को लेकर घरो अपने अपने स्तर पर व्यापक तैयारियां की गई। बुधवार की सुबह लोग स्नान कर देवी देवताओं की पूजा अर्चना किया।
इसके उपरांत बहनों ने भाइयों की कलाई में रक्षा सुत बांधकर जन्म जन्म तक सुख-दु:ख में साथ निभाने का वचन भाईयों से लिया। वहीं भाईयों ने भी बहनों को उपहार देकर हमेशा साथ निभाने का वादा किया। इस दौरान मुंह मीठा करने का दौर भी जारी रहा। साथ ही घरो के बुढे- बुजुर्गों का पैर छुकर आशिर्वाद लिया।
दोपहर में अधिकांश बहनों ने भाई की कलाई पर राखी सजाई और उपहार पाकर अपनों के साथ खुशियां मनाई, इस भाई बहन का त्यौहार रक्षा बंधन के संबंध में नगर के पंडित डॉक्टर लक्ष्मण शुक्ला ने जानकारी देते हुये बताया कि भारतीय हिंदू संस्कृति में सभी रिश्तो को महत्व देने के लिए कई पर्व मनाए जाते हैं । भाई दूज के साथ रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के अनूठे संबंध को और गहरा करने का पर्व है। भारत में रक्षाबंधन को लेकर पौराणिक और ऐतिहासिक परंपरा रही है। कहा जाता है की असुर देवता संग्राम में इंद्र को उनकी पत्नी इंद्राणी ने अभिमंत्रित रेशम का धागा बांधा था जिसकी शक्ति से वे विजयी हुए। भगवान श्री कृष्ण को द्रौपदी द्वारा उनके घायल उंगली में साड़ी की पट्टी बांधने को भी रक्षाबंधन से जोड़कर देखा जाता है। उसी परंपरा का पालन करते हुए इस बुधवार को बहनों ने सुबह से उपवास रखकर स्नान और श्रृंगार किया। खुद सज धज कर बहनों ने थाल सजाई। जिसमें राखियों के साथ रोली हल्दी चावल दीपक मिठाई आदि रखा और भाइयों के कलाई मे राखी बांध कर आशीर्वाद ली l
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रक्षा बंधन पर्व