संतोष मरकाम ब्यूरो चीफ बस्तर संभाग - दीपक बैज के आगमन पर विभिन्न समस्याओं के संतोष मरकाम ब्यूरो चीफ बस्तर संभाग हेतु ध्यान आकृष्ट कर ज्ञापन सोपा गया जिसमें प्रमुख सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए अंतरिम राहत के परिपेक्ष्य में छत्तीसगढ़ में आदिवासी वर्ग को शैक्षणिक, एमबीबीएस/ बीडीएस प्रवेश, शासकीय सेवा में भर्ती, पदोन्नति एवं स्थानीय स्तर के भर्ती में राज्य स्तर पर 32% आरक्षण रोस्टर का शत-प्रतिशत पालन हो। नीट एमबीबीएस और बीडीएस प्रवेश में 32% आरक्षण से संबंधित मामलो को लेकर नीट के छात्र माननीय बस्तर सांसद दीपक बैज जी से मिले, मामला है कि नीट के एमबीबीएस और बीडीएस सीट अलॉटमेंट में 32% आरक्षण रोस्टर को ना मानते हुए 20% आरक्षण रोस्टर के तहत प्रवेश दिया जा रहा जिससे आदिवासी युवा नाराज़ हैं इसके कारण आदिवासी वर्ग को सीधे सीधे 144 सीटो का नुक़सान हो रहा है । 144आदिवासी डॉक्टर बनने से वंचित रह जायेंगे । वर्तमान में केवल भर्ती में ही आरक्षण रोस्टर का पालन हो रहा है । जबकि एमबीबीएस/ बीडीएस प्रवेश , पदोन्नति एवं स्थानीय भर्ती में भी जिलों में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण रोस्टर का पालन राज्य सरकार के राजपत्र 29 नवंबर 2012 के अनुसार होना चाहिए।
जिससे आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ के बेरोजगार आदिवासी युवाओं को न्याय मिल सके। राज्य शासन की मंशा के अनुरूप हॉस्टल अधीक्षकों की भर्ती में आदिवासी छात्रावास के लिए केवल आदिवासी हॉस्टल अधीक्षकों की नियुक्ति हो। सुप्रीम कोर्ट ,हाईकोर्ट एवं न्यायिक सेवा में कॉलेजियम सिस्टम की समाप्ति कर न्यायाधीशों की नियुक्ति यूपीएससी पेटर्न पर हो। जिससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति,अन्य पिछड़ा वर्ग को भी जनसंख्या के अनुपात में न्यायिक सेवा में न्यायाधीश बनने का अवसर मिल सके।आदिवासियों के फर्जी जाति प्रमाण पत्र लेकर नौकरी करने वाले जिनके जाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति से फर्जी घोषित हो चुके हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ तत्काल एफ आई आर, केविएट एवं बर्खास्तगी की कार्यवाही किया जावे।अनुसूचित जनजाति वर्ग के पालकों के लिए छात्रवृत्ति हेतु निर्धारित आय सीमा की बाध्यता ढाई लाख की गई है। जिसके कारण बहुत सारे प्रतिभावान विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित हो जाते हैं। आदिवासी समाज जन्म से ही आदिवासी होता है, इन्हें क्रीमीलेयर जैसे शब्दों में लाकर आय सीमा की बाध्यता में लाना नाइंसाफी है । इसलिए आदिवासी वर्ग के लिए आय सीमा की बाध्यता को समाप्त किया जावे। आदिवासी समाज के बहुत सारे अधिकारी कर्मचारी बेवजह निलंबित है, जिनकी बहाली हो। कई स्थानों पर आदिवासी समाज के वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर कनिष्ठ अधिकारियों की पदस्थापना कर दी गई है। जिससे आदिवासी समाज के अधिकारी कर्मचारियों में निराशा व्याप्त है। आदिवासी वर्ग का अधिकारी कर्मचारी अपनी बात कहीं रख नहीं पाते हैं। ऐसे अधिकारी कर्मचारियों की सूची मंगा कर इन अधिकारी कर्मचारियों को त्वरित न्याय दिलाई जावे। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की जनसंख्या 32% है। जनसंख्या के अनुपात में 11 कलेक्टर एवं 11 पुलिस अधीक्षकों की नियुक्ति आदिवासी वर्ग से हो। आदिवासी बाहुल्य जिलों में शत– प्रतिशत विभाग प्रमुखों की नियुक्ति आदिवासी वर्ग के अधिकारियों से हो। जिससे उस क्षेत्र के आदिवासियों के भावनाओं के अनुरूप सरकारी काम हो सके।राज्य सरकार के घोषणापत्र के अनुरूप नक्सलियों से शांति वार्ता हेतु सरकार शीघ्र पहल करे।स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों में स्टाफ की भर्ती में आरक्षण रोस्टर का पालन हो। जिससे अनुसूचित जनजाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं को भी स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में सेवा करने का अवसर मिल सके। सुदूर आदिवासी क्षेत्र के जिलों में टीईटी, बीएड, डीएड प्रशिक्षण केंद्र नहीं होने के कारण स्थानीय आदिवासी वर्ग का युवा प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर सकता है। इसलिए शिक्षकों की भर्ती में आदिवासी क्षेत्र के लिए टीईटी, बीएड, डीएड की अनिवार्यता समाप्त किया जावे। जिससे स्थानीय स्तर के आदिवासियों के साथ अन्य वर्ग के लोगों को भी शिक्षक बनने का अवसर मिल सके। उक्त बिंदुओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए त्वरित न्याय करने का आश्वासन महोदय द्वारा दिया गया।