संतोष मरकाम ब्यूरो प्रमुख बस्तर संभाग- बारिश होते ही बस्तर के प्रसिद्ध मौसमी सब्जी जिसे स्थानीय भाषा में स्थानीय लोग इसे बोड़ा कहते है जो अब बस्तर के हाट बाजारों में देखने को मिल रहा है।
कुछ दिन पहले बस्तर में रिमझिम बारिश लगातार दो-तीन दिन से हुआ उसके बाद धूप जैसे ही निकला वैसे ही साल वृक्ष के क्षेत्रों में यह मौसमी बोड़ा निकलना प्रारंभ हुआ जो गांव क्षेत्र के हाट बाजार में सोली के माध्यम से बेचा जाता है और उसी को शहर में ले जाकर के किलो में बेचा जाता है जो बहुत ही स्वादिष्ट और लाभदायक रहता है।
आज उसकी रेट गांव हाट बाजार में 300 से 500 के बीच मिलता है वहीं शहर में जाकर 2000 से 25 साल के बीच किलो में मिलता है बोडा निकलने का समय होता है 12 महीना नहीं होता यह मौसमी सब्जी।
बस्तर को साल वनों का द्वीप कहा जाता है और साल वृक्ष के नीचे ही काले और सफेद रंग का बोड़ा निकलता है। बस्तर में मानसून के आगमन से पहले होने वाली बारिश में बोड़ा साल वृक्ष के नीचे से निकाला जाता है। स्थानीय आदिवासियों का कहना है कि जितना बादल गरजता है उतना ही बोड़ा निकलता है। हल्की बारिश में इसकी आवक बस्तर के हाट बाजारों में ज्यादा होती है। जहां जमीन थोड़ी ऊंची और मुलायम दिखती है, वहां बस्तर के आदिवासी जमीन खोदकर इसे निकालते हैं। मिट्टी के नीचे होने के कारण इसमें काफी मिट्टी लगी होती है। इसे पकाने से पहले इसकी सफाई की जाती है ताकि मिट्टी की वजह से सब्जी का स्वाद ना बिगड़े। चार से पांच बार पानी से धोकर ही इसे उपयोग में लाया जाता है। बस्तर से आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में बोड़ा की सप्लाई की जा रही है। इसे देश की सबसे महंगी सब्जी कही जाती है। यहां केवल एक से डेढ़ महीना के बीच मिलता है। स्थानीय आदिवासियों का कहना है कि सूखे हुए बोडा कई प्रकार के दवाई भी काम आता है
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