संतोष मरकाम ब्यूरो चीफ बस्तर संभाग- वन अधिकार मान्यता कानून आने से पहले ग्राम सभा की स्थिति क्या रहा सन 2017 से पहले ग्राम सभा -बुनागांव के लोग अनुसूचित जनजाति एंव अन्य वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम – 2006, पंचायत उपब्ध (अनुसूचित क्षेत्रो में विस्तार) अधिनियम -1996, पांचवी अनुसूची, छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता-1959, सुचना का अधिकार-2005 जैसे संवैधानिक अधिकार से अनभिज्ञ थे ग्राम सभा के लोगों के लिए अपना –अपना जीवन यापन करना ही मूल मक़सद था ।
ग्राम सभा के लोग अपने पारंपारिक व्यवस्थाओं को भी धीरे -धीरे भूलते जा रहे थे। ग्राम सभा बुनागाँव के पारंपारिक सीमाओं के अंदर में सघन एंव विरल वन मौजूद हैं परन्तु ग्राम सभा बुनागाँव को यह नही पता था की वास्तव में यह जंगल और जमीन किसका है? ग्राम सभा को लगता था की पूरा जंगल का मालिक वन विभाग ही है इसलिए जंगल में लघु वनोपज संग्रहण करते समय ग्राम सभा के लोग जंगल को ज्यदातर हानी पहुचाते रहे । साथ ही वन विभाग संयुक्त वन प्रबंधन समिति के आड़ में ग्राम सभा के जंगल को प्रत्येक तीन-चार वर्ष में विदोहन (कटिन करने) का कार्य करता रहा है जिसके कारण वन क्षेत्र विरल होते गया और इस संबंध में ग्राम सभा के लोगो को कोई भी संवैधानिक अधिकारों की जानकारी नही था ।
ग्राम सभा के बुजुर्ग (गांयता,पेरमा,वड्डे,पटेल इत्यादि) लोग गोंडी भाषा में कहते थे कि - मावा नाटे, मावा राज! और जल, जंगल और जमीन हमारा है! जब इन वाक्यों को सुनकर युवा वर्ग खोजने निकला तो जल – जल संसाधन विभाग का निकला, जंगल -वन विभाग का निकला और जमीन राजस्व विभाग का निकला, फिर सवाल उठा कि ग्राम सभा- बुनागाँव का जल, जंगल और जमीन कहा है? इस संघर्ष की अगली कड़ी में ग्राम सभा से ऊपर उठ कर कुछ बस्तर सभाग में कार्यरत सामजिक संगठनों से संपर्क किया।
फिर ग्राम सभा –बुनागाँव ने सामाजिक आधारित संगठन – कोया भूमकाल क्रन्ति सेना के संयोजक और विधिक जानकारों से सलाह लिया गया और ग्राम सभा को सशक्तिकरण करने के लिए पंचायत स्तर में संवैधानिक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित किया गया जिसमे अनुसूचित जनजाति एंव अन्य वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम – 2006, पंचायत उपब्ध (अनुसूचित क्षेत्रो में विस्तार) अधिनियम -1996, पांचवी अनुसूची, छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता-1959, सुचना का अधिकार-2005 जैसे संवैधानिक अधिकार शामिल रहे।
अधिकारों के संघर्ष कि प्रक्रिया :-
संवैधानिक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने के बाद संघर्ष की अगली कड़ी में ग्राम पंचायत स्तर में गाँव की पारंपरिक पेन (देव) स्थल में ग्राम सभा बुलया गया और वन अधिकार मान्यता कानून - 2006 के तहत वन अधिकार समिति का सर्व सहमती से गठित किया गया साथ ही अनुसूचित जनजाति एंव अन्य वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम – 2006, में निहित अधिकार – सामुदायिक अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार हेतु ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित किया गया और वन अधिकार समिति को दावा प्रक्रिया को पूर्ण करने हेतु ग्राम सभा द्वारा अधिकृत किया ।
ग्राम सभा बुनागांव की वन अधिकार समिति, अनुभाग स्तरीय वन अधिकार समिति, कोण्डागांव एवं सीमावर्ती ग्राम के वन अधिकार समितियों को सामुदायिक अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के दावा प्रक्रिया प्रारम्भ करने की सुचना दिया और निवेदन किया की ग्राम सभा बुनागांव की पारम्परिक पेन (देव) सीमा में सीमांकन करने में सहयोग करेंगे और समय –समय पर सुचना मिलने पर बुनागांव का नजरी नक्शा बनाने में सहयोग करना और विवादों को सिथिल करते हुए सीमाओं पर सहमती देने हेतु अपिल किया गया। वन अधिकार समिति अनुभाग स्तरीय वन अधिकार समिति एवं सीमावर्ती ग्राम के वन अधिकार समितियों को जी पी एस (GPS) मशीन द्वारा सीमांकन करने की सुचना देकर गाँव के चारो ओर पारंपरिक सीमा पर सीमांकन किया गया जिसमें कुल रकबा 1029.487 हेक्टेयर प्राप्त हुआ और ग्राम सभा के सीमा क्षेत्र में आने वाले वन को अलग कर ग्राम सभा बुनागाँव को दिया गया ।
वन अधिकार समिति, सामुदायिक अधिकार और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दावा प्रकिया पूर्ण होने पर अंतिम ग्राम सभा आयोजित कर अनुमोदन करके अनुभाग स्तरीय वन अधिकार समिति को सौपा गया और पावती लिया गया। 9 अगस्त 2020को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र ग्राम सभा बुनागांव को मिला इस संघर्ष में ग्राम सभा को कोया भूमकल क्रांति सेना(KBKS), नवोदित, और फाऊंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्युरिटी सहयोग किया है।
सामूदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र मिलने के बाद ग्राम सभा में कुछ इस प्रकार से बदलाव हुआ :-
1. वन अधिकार समिति, ग्राम सभा के कानूनों, नियमो की जानकरी, तथा सक्षम व्यक्ति से संवाद कर के समस्याओं का निराकरण करने में सक्षम है।
2. वन अधिकार समिति के साथ ग्राम सभा के युवा वर्ग और शिक्षित वर्ग सामने आकर ग्राम सभा स्तर के समस्याओं का निराकरण करने में सहयोग कर रहें है।
3. ग्राम सभा में जल,जंगल और जमीन के संबध में जागरूकता आया है और प्रबंधन कर रहा है ।
4. लघु वनोपज के सग्रहण करते समय वनों में आग नही लगाये यैसी जागरूकता विकसित हुआ है ।
5. वनों में वृक्षों के कटाई पर रोक लगया गया है।
6. पर्यावरण संतुलन पर विशेष जोर दिया जा रह है ।
7. ग्राम सभा के सभी कार्य कागज/आवेदन/ निवेदन के बगैर, कोई भी कार्य नही किया जाता है ।
8. ग्राम सभा शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार/ रोजगार और अधिकारों पर बात करने लगा है।
9. सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन के लिए कार्य योजना बनाने की ओर अग्रसर है ।
10. 11वीं अनुसूची से संबधित विभागों से सम्पर्क साध रहें और योजनाओ का लाभ ले रहे है ।
11. ग्राम सभा स्तर के सभी कार्यों के लिए ग्राम सभा बुनागांव स्वयं ही निर्णय लेने में सक्षम हो रहा है शासन प्रशासन द्वारा आज भी अगर किसी प्रकार के कार्य के लिए आवेदन ग्राम सभा को आता है तो सबसे पहले ग्राम सभा में उसका निर्णय होता है उसके बाद उस आवेदन का पालन निर्णय के अनुसार किया जाता है।
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